आज की तेज रफ्तार जिदगी में तनाव, खराब खानपान और अनियमित दिनचर्या ने कई बीमारियों को हमारे करीब ला दिया है। डायबिटीज उन्हीं में से एक है, जो अब सिर्फ उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं रही, बल्कि युवा और महिलाएं भी इसकी चपेट में आ रही हैं। ऐसे में दवाओं और एक्सरसाइज के अलावा अब एक नया नाम जुड़ता दिख रहा है – म्यूजिक थेरेपी। जी हां, वो संगीत जिसे हम सिर्फ मनोरंजन या मूड बेहतर करने के लिए सुनते हैं, अब साइंस भी मानता है कि ये डायबिटीज को कंट्रोल करने में असरदार हो सकता है।
रिसर्च में पाया गया है कि खास फ्रीक्वेंसी वाले संगीत से न सिर्फ मूड बेहतर होता है, बल्कि शरीर में इंसुलिन का रिस्पॉन्स भी तेज हो सकता है। ऐसे में लाइफस्टाइल में अगर आप थोड़ी देर संगीत को जगह दें, तो हो सकता है ये आपकी हेल्थ को नई दिशा दे।
म्यूजिक सिर्फ मूड ही नहीं, शरीर पर भी असर डालता है
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पॉप, रॉक, जैज या हिप-हॉप—हर किसी का पसंदीदा म्यूजिक होता है। संगीत हमारे दिमाग को शांत करने, स्ट्रेस घटाने और एनर्जी देने में मदद करता है। लेकिन म्यूजिक का असर सिर्फ मानसिक नहीं होता, यह हमारे हार्मोन और हार्ट रेट जैसे शारीरिक पहलुओं पर भी असर डालता है।
म्यूजिक सुनने से कैसे काम करता है शरीर?
जब हम अपनी पसंद का म्यूजिक सुनते हैं, तो दिमाग में डोपामिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होता है। ये केमिकल हमें अच्छा महसूस कराता है। साथ ही, स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल की मात्रा घटती है। इससे ना सिर्फ मूड बेहतर होता है, बल्कि ब्लड शुगर कंट्रोल भी आसान हो सकता है।
म्यूजिक सुनने से शरीर में एंडॉरफिन भी रिलीज होते हैं। ये हमारे प्राकृतिक पेनकिलर होते हैं और मूड को बेहतर बनाते हैं। यही वजह है कि म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल आजकल कैंसर, पेन मैनेजमेंट और मानसिक रोगों में भी हो रहा है।
ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट पर भी असर
कुछ रिसर्च में पाया गया है कि म्यूजिक सुनने से ब्लड प्रेशर कम होता है, हार्ट रेट सुधरता है और इमोशनल हेल्थ बेहतर होती है। जब हमारा मानसिक तनाव कम होता है, तो डायबिटीज कंट्रोल करना भी आसान हो जाता है।
म्यूजिक और इंसुलिन का कनेक्शन
डॉ. सोनाली कागने बताती हैं कि वैज्ञानिकों ने एक अनोखा प्रयोग किया जिसमें उन्होंने इंसुलिन छोड़ने वाली आर्टिफिशियल सेल बनाई। इसे कुछ खास फ्रीक्वेंसी (जैसे 50 Hz) के म्यूजिक पर रिएक्ट करने के लिए प्रोग्राम किया गया।
इस रिसर्च में कुछ रॉक सॉन्ग्स को प्ले किया गया। हैरानी की बात ये थी कि म्यूजिक सुनने के सिर्फ 5 मिनट के अंदर 70% इंसुलिन रिलीज हो गया, और 15 मिनट में पूरा। ये इंसुलिन रिस्पॉन्स बिल्कुल वैसा ही था जैसा कि एक स्वस्थ इंसान के शरीर में ग्लूकोज लेने पर होता है।
अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो दिन में कुछ समय अपनी पसंद का म्यूजिक जरूर सुनें। इससे मानसिक तनाव घटेगा, मूड बेहतर रहेगा और धीरे-धीरे शरीर पर भी पॉजिटिव असर दिख सकता है। भविष्य में म्यूजिक थेरेपी एक नियमित इलाज का हिस्सा भी बन सकती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।