पलाश, जिसे "टेसू" भी कहा जाता है, झारखंड और उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प है। ये फूल गर्मी के मौसम में खिलता है और अपनी चमचमाती लाल रंगत से जंगलों को आग की तरह रोशन करता है। पलाश को "जंगल की आग" भी कहा जाता है, क्योंकि इसके खिलने से एक शानदार दृश्य बनता है। ये फूल न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, बल्कि हिंदू धर्म में इसे भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रिय माना जाता है। पलाश का आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है।
क्योंकि इसके फूल, पत्ते और छाल का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत लाभकारी माना जाता है।
हजारीबाग के आयुष विभाग के डॉक्टर मकरंद कुमार मिश्रा लोकल 18 स बात करते हुए बताते हैं कि, पलाश न केवल देखने में आकर्षक होता है, बल्कि इसके आयुर्वेदिक लाभ भी अत्यधिक होते हैं। इसमें एसट्रिनजेंट और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की विभिन्न समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं।
पलाश के फूल, पत्ते और छाल सभी आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। इसका पत्तों का रस स्किन की समस्याओं जैसे खुजली और रूखेपन में कारगर साबित होता है। इसके फूलों का लेप त्वचा की खुजली और सूजन को कम करने में सहायक है।
पेट में कीड़े और घावों के लिए फायदेमंद
अगर किसी व्यक्ति के पेट में कीड़े हो जाएं, तो पलाश के पाउडर को शहद के साथ सेवन करना फायदेमंद रहता है। इसके अलावा, घावों को भरने के लिए पलाश के पत्तों और छाल का लेप घाव पर लगाया जा सकता है, जो जल्दी उपचार में मदद करता है।
पलाश का पत्ते और रस डायबिटीज के रोगियों के लिए भी लाभकारी होता है। इसका सेवन करने से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। पलाश के फूलों का लेप त्वचा से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में भी सहायक है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।