गेहूं के आटे की रोटी हमारे खाने का अहम हिस्सा है। भारत ही नहीं दुनियाभर में इसे पसंद किया जाता है। इससे रोटी के अलावा ब्रेड और अन्य चीजें भी बनाई जाती हैं। इस आटे की रोटी के कई फायदे हैं लेकिन कुछ लोग इसे सेहत के लिए अच्छा नहीं मानते हैं। माना जाता है कि इसे खाने से कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गेहूं के आटे की रोटियां छोड़ देनी चाहिए। अगर गेहूं के आटे की रोटियां नहीं खाना चाहते हैं तो फिर किस आटे की रोटियां आपके लिए बेहतर होंगी?
दरअसल, ज्यादा गेहूं का आटा खाने से पेट में गैस, सूजन या कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गेहूं में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, लेकिन जब इसे अधिक मात्रा में खाया जाता है। तब ऐसी स्थिति में पाचन तंत्र बिगड़ सकता है। अगर गेहूं खाने के बाद आप पेट में ऐसी कोई दिक्कत महसूस करते हैं, तो आपको गेहूं से एलर्जी हो सकती है।
यह मिक्स आटा किसी रामबाण से कम नहीं
हेल्थ से जुड़े जानकारों का कहना है कि गेहूं, मक्का, ज्वार, रागी, जौ, ज्वार, काले चने, कंगनी, बाजरा के मिक्स आटे की रोटियों का सेवन करें। गेहूं का आटा हमारे आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन जब इसे ज्यादा मात्रा में खाया जाता है, तो यह हमारी सेहत पर नेगेटिव असर डाल सकता है। इस मल्टी ग्रेन रोटी में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। इससे कब्ज, गैस और एसिडिटी की समस्या दूर खत्म हो जाती है। फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण ये पेट को लंबे समय तक भरा रखती है। इससे भूख कम लगती है और ओवरईटिंग नहीं होती – जो वेट लॉस में मदद करता है।
गेहूं के आटे से डायबिटीज का खतरा
गेहूं के आटे में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो वजन बढ़ाने में मदद करते हैं। इसे छोड़ने से वजन कम करने में मदद मिलती है। इस आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है। इसे छोड़ने से डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।