Eye donate: क्या आप जानते हैं आंख का कौन-सा हिस्सा नेत्रदान में सबसे जरूरी होता है?
How to Donate Eyes: नेत्रदान को महादान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इससे आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति की दुनिया में उजाला भर सकते हैं। लेकिन नेत्रदान करने से पहले यह जानना जरूरी है कि इसमें आंख का कौन सा हिस्सा दान किया जाता है, खासकर कॉर्निया, और इससे जुड़ी बाकी जरूरी जानकारी भी समझनी चाहिए
Eye donate: अगर आप नेत्रदान का संकल्प लेते हैं तो अपने परिवारजनों को इस बारे में जरूर बताएं।
आंखें इंसान को मिला प्रकृति का सबसे अनमोल उपहार हैं, जिनसे वो इस रंग-बिरंगी दुनिया को देख पाता है। लेकिन जब किसी व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली जाती है, तो उसका जीवन अंधेरे में डूब जाता है। ऐसे में नेत्रदान किसी के लिए फिर से रोशनी की किरण बन सकता है। आज चिकित्सा विज्ञान की तरक्की से नेत्रदान के माध्यम से हजारों लोगों को फिर से देखने की शक्ति मिल रही है। खासतौर पर मृत्यु के बाद केवल कुछ मिनटों की प्रक्रिया से किसी की जिंदगी में उजाला भरा जा सकता है। इसके बावजूद बहुत से लोग नेत्रदान को लेकर झिझकते हैं, क्योंकि उन्हें इसकी सही जानकारी नहीं होती।
वो नहीं जानते कि नेत्रदान कैसे किया जाता है, कौन कर सकता है, और इसका क्या महत्व है। जागरूकता और सही जानकारी के जरिए इस महान कार्य को और अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।
नेत्रदान कौन कर सकता है?
नेत्रदान के लिए उम्र, लिंग या नजर की कमजोरी कोई बाधा नहीं है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन करा चुके लोग, चश्मा पहनने वाले, हाई बीपी या डायबिटीज के मरीज, यहां तक कि जिनकी आंखों की रोशनी किसी बीमारी के कारण चली गई हो, वे भी नेत्रदान कर सकते हैं। जरूरी है केवल इच्छाशक्ति और जागरूकता की।
आंखों का कौन सा हिस्सा किया जाता है दान
नेत्रदान में पूरी आंख नहीं बल्कि केवल कॉर्निया दान किया जाता है। ये आंख के आगे की पारदर्शी परत होती है जो देखने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी के माध्यम से प्रकाश आंखों में प्रवेश करता है और रेटिना तक पहुंचता है, जिससे हम चीजों को साफ-साफ देख पाते हैं।
कहां कर सकते हैं नेत्रदान
कॉर्निया दान करने के लिए किसी ऐसे अस्पताल में संपर्क किया जा सकता है जहां आई बैंक या कॉर्निया बैंक की सुविधा उपलब्ध हो। कई जिला अस्पतालों में भी आई बैंक से संपर्क के जरिए नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
क्या जीते जी नेत्रदान संभव है?
नेत्रदान की प्रक्रिया केवल मृत्यु के बाद ही संभव होती है, लेकिन कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए इसका संकल्प ले सकता है। ये जानकारी अपने परिवार के लोगों को देना जरूरी है ताकि मृत्यु के बाद समय पर डॉक्टरों को सूचित कर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
मृत्यु के कितने समय बाद नेत्रदान हो सकता है?
मृत्यु के बाद अधिकतम छह घंटे के भीतर कॉर्निया निकाला जा सकता है। इस दौरान डॉक्टर्स की विशेष टीम मृतक के पास पहुंचकर कॉर्निया निकालती है और उसे सुरक्षित सॉल्यूशन में रखकर आई बैंक तक पहुंचाती है। जितना जल्दी ये प्रक्रिया हो, उतना बेहतर परिणाम मिलता है।
दान किए गए कॉर्निया को कब तक किया जा सकता है ट्रांसप्लांट
दान किया गया कॉर्निया अधिकतम सात दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। लेकिन कोशिश यही की जाती है कि उसे जल्दी से जल्दी किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया जाए ताकि बेहतर परिणाम मिल सकें।
क्या आंखों के अन्य हिस्से भी दान हो सकते हैं?
फिलहाल केवल कॉर्निया को ही सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। हालांकि आंखों के बाकी हिस्सों पर रिसर्च चल रही है और कुछ हिस्सों को डॉक्टरी शोध के लिए लिया जा सकता है।
नेत्रदान के लिए क्या करना चाहिए?
अगर आप नेत्रदान का संकल्प लेते हैं तो अपने परिवारजनों को इस बारे में जरूर बताएं। ताकि आपकी मृत्यु के बाद वे नजदीकी आई बैंक या अस्पताल से संपर्क कर सकें और इस पुण्य कार्य को पूरा किया जा सके। आई बैंक की टीम समय पर आकर कॉर्निया को सुरक्षित तरीके से निकालकर ट्रांसप्लांट के लिए तैयार करती है।
नेत्रदान क्यों है जरूरी
भारत में लाखों लोग ऐसे हैं जो कॉर्निया की खराबी के कारण रोशनी से वंचित हैं। अगर अधिक से अधिक लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं तो इनकी जिंदगी में उजाला लौट सकता है। ये न केवल एक मानवीय कार्य है बल्कि एक ऐसा योगदान भी है जो मरने के बाद भी किसी के जीवन में नया सवेरा ला सकता है।