आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, तनाव और बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल ने डायबिटीज को एक आम बीमारी बना दिया है, जो चुपचाप शरीर को अंदर से खोखला कर देती है। इसे अक्सर "शुगर" की बीमारी कहा जाता है, लेकिन असल में ये सिर्फ मीठे खाने की वजह से नहीं होती। ये उस वक्त जन्म लेती है जब शरीर इंसुलिन नामक हार्मोन का सही तरीके से उत्पादन नहीं कर पाता या शरीर उसकी क्रिया को अनदेखा कर देता है। खून में ग्लूकोज की मात्रा लगातार बढ़ती जाती है, जिससे हृदय, आंखें, किडनी और नसों जैसे जरूरी अंगों पर बुरा असर पड़ता है।
डायबिटीज की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि इसकी शुरुआत बिना लक्षणों के होती है, लेकिन असर इतना गहरा होता है कि पूरी जीवनशैली बदलनी पड़ती है। अच्छी बात ये है कि समय रहते कुछ जरूरी कदम उठाकर इस बीमारी को काफी हद तक रोका कम किया जा सकता है।
ग्लूकोज का ओवरडोज शरीर को करता है बर्बाद
अगर आपका ब्लड शुगर लंबे समय तक हाई बना रहता है, तो ये धीरे-धीरे शरीर के कई अहम अंगों जैसे हृदय, आंखें, किडनी और नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इसे नजरअंदाज करना खुद के खिलाफ जंग छेड़ने जैसा है।
10 साल टाल सकते हैं डायबिटीज
एक रिपोर्ट के अनुसार अगर आप समय रहते कुछ छोटे लेकिन असरदार कदम उठाएं, तो टाइप-2 डायबिटीज को 10 साल तक दूर रखा जा सकता है।
प्री-डायबिटीज में भी है सुधार की गुंजाइश
अगर आप 40 से 50 की उम्र में प्री-डायबिटीज की स्टेज पर हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कई लोग अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके न केवल डायबिटीज को टालते हैं, बल्कि ब्लड शुगर को नॉर्मल लेवल तक वापस भी ला सकते हैं।
फिटनेस को बनाएं अपना फुल-टाइम साथी
वजन कंट्रोल करना सबसे पहला कदम है। साथ ही, साइकिल से ऑफिस जाना, रोजाना पैदल चलना या अपने रूटीन में कोई भी फिजिकल एक्टिविटी जोड़ना जरूरी है। हमें अपनी ‘पहचान’ को शारीरिक रूप से एक्टिव इंसान में बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
डाइट भी निभाता है हीरो का रोल
सिर्फ कसरत काफी नहीं होती, खाने-पीने की आदतों में भी बदलाव जरूरी है। हेल्दी डाइट लेना, प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाना और नेचुरल फूड्स को तवज्जो देना डायबिटीज से लड़ाई में आपकी जीत की राह आसान बना सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।