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Monsoon tips: डाइजेशन रहेगा मस्त और पेट बिल्कुल टनाटन, बस बरसात में फॉलो करें ये 10 देसी ट्रिक

Monsoon tips: बरसात का मौसम जहां सुकून देता है, वहीं पाचन तंत्र को कमजोर कर देता है। नतीजा—गैस, अपच और पेट में भारीपन जैसी दिक्कतें। लेकिन अगर आप कुछ देसी और असरदार आदतें अपनाएं, तो पेट की ये सारी परेशानियां दूर रह सकती हैं। जानिए बरसात में डाइजेशन दुरुस्त रखने के 10 आसान और कारगर देसी टिप्स

अपडेटेड Jul 23, 2025 पर 2:15 PM
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Monsoon tips: नींद की कमी और तनाव से पेट फूलने, एसिडिटी और अपच हो सकता है।

बरसात का मौसम अपने साथ ठंडी हवा और राहत जरूर लाता है, लेकिन यह हमारे पाचन तंत्र के लिए चुनौती बन सकता है। हवा में नमी बढ़ने से भोजन देर से पचता है, और बाहर का तला-भुना खाना पेट से जुड़ी समस्याओं को और बढ़ा देता है। गैस, अपच, पेट दर्द और भारीपन जैसे लक्षण मानसून में आम हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम अपने डेली रूटीन में कुछ सकारात्मक बदलाव लाएं। सही आदतें अपनाकर न केवल पाचन तंत्र को मजबूत रखा जा सकता है, बल्कि पूरे मौसम में शरीर को हल्का और ऊर्जावान भी महसूस किया जा सकता है।

यह मौसम खाने-पीने में लापरवाही का नहीं, बल्कि संतुलन का है। आइए जानते हैं वो 10 असरदार आदतें, जो मानसून में आपके डाइजेशन को बेहतर बनाएंगी और पेट से जुड़ी दिक्कतों से बचाएंगी

रोज खाएं फर्मेंटेड चीजें


दही, छाछ, आचार या इडली-सांभर जैसे फर्मेंटेड फूड्स में मौजूद प्रोबायोटिक्स आपके पेट के माइक्रोबायोम को मजबूत बनाते हैं। इससे पाचन सुधरता है और सूजन कम होती है। रोजाना थोड़ी मात्रा में इनका सेवन आपको अपच से बचा सकता है।

प्रीबायोटिक फाइबर लें

लहसुन, प्याज, ओट्स, दालें और केले जैसे फूड्स में प्रीबायोटिक फाइबर होते हैं, जो आपके पेट के अच्छे बैक्टीरिया को जिंदा और खुश रखते हैं। ये पेट की दीवार को मजबूत बनाते हैं और पाचन को सुचारु रखते हैं।

पर्याप्त पानी पिएं

बारिश में प्यास कम लगती है, लेकिन पानी कम पीने से कब्ज, सूजन और ऐंठन हो सकती है। कम से कम 6–8 ग्लास गुनगुना या सामान्य तापमान वाला पानी रोज पीना चाहिए।

एक तय समय पर खाएं

रोज़ अलग-अलग समय पर खाने से शरीर की बायलॉजिकल क्लॉक गड़बड़ा जाती है। एक नियमित समय पर खाने से एंजाइम्स और पेट के बैक्टीरिया बेहतर काम करते हैं और पाचन सुधरता है।

हल्दी और काली मिर्च

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन सूजन घटाता है, लेकिन इसका असर तब बढ़ता है जब इसे काली मिर्च (पाइपरिन) के साथ लिया जाए। इस कॉम्बिनेशन को अपने काढ़े, दाल या चाय में जरूर शामिल करें।

पौधों से भरपूर थाली

हर हफ्ते कम से कम 30 तरह के अनाज, फल, सब्जियां, दालें और बीज खाइए। जितना ज्यादा वैरायटी, उतना मजबूत माइक्रोबायोम और बेहतर डाइजेशन।

हल्का व्यायाम करें

भारी एक्सरसाइज की जगह योग, स्ट्रेचिंग या 30 मिनट की वॉक अपनाएं। इससे गैस नहीं फंसेगी, मेटाबॉलिज्म एक्टिव रहेगा और तनाव भी कम होगा।

तनाव और नींद का रखें ध्यान

नींद की कमी और तनाव से पेट फूलने, एसिडिटी और अपच हो सकता है। ध्यान, गहरी सांसें और पूरी नींद आपके पाचन को भी सुधारते हैं।

प्रोसेस्ड फूड को कहें बाय-बाय

पैकेज्ड स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स और ज्यादा तला हुआ खाना पेट को नुकसान पहुंचाता है। इसकी जगह मखाना, भुना हुआ भुट्टा, फल-सलाद या घर का बना हल्का खाना खाना ज्यादा फायदेमंद होता है।

एंटीबायोटिक्स सोच-समझकर लें

बिना जरूरत एंटीबायोटिक दवा लेने से पेट के अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं। इसलिए ये दवाएं हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही लें और बाद में दही जैसे प्रोबायोटिक फूड्स खाएं, जिससे पेट दोबारा सही तरीके से काम करने लगे।

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