पलाश के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है। पलाश के फूलों की सुंदरता किसी का भी मन मोह सकती है। इन्हें टेसू के फूल भी कहा जाता है। कई लोग घर की सुंदरता बढ़ाने के लिए टेसू के पेड़ लगाते हैं। यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। पलाश का पेड पूरा मेडिकल स्टोर है। कई बीमारियों की यह एकमात्र दवा है। इससे लू और भीषण गर्मी से बचाव होता है। पलाश के फूल को कई क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से पहचाना जाता है। इसे परसा, ढाक, टेसू, किशक, सुपका, ब्रह्मवृक्ष और फ्लेम ऑफ फोरेस्ट जैसे शब्दों से जाना जाता है।
यूरिन पास करने में कठिनाई हो रही हो या फिर यूरिन इंफेक्शन और पेट में कीड़े होने पर तो पलाश के फूल का इस्तेमाल करने का अच्छा असर होगा। स्किन डिसीज से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इस फूल का उपयोग करके देखें। पलाश के फूलों से होली के रंग भी तैयार किए जाते हैं। इन प्राकृतिक रंगों से होली खेलने का मजा कुछ अलग ही है।
पलाश के फूल से नहीं लगेगी लू
छतरपुर जिले के रहने वाले बुजुर्ग जमुना पाल ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि गर्मी के मौसम में पलाश के फूल का महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है। जब किसी को लपट यानी लू लग जाती है। तब पलाश के फूलों से यह छूमंतर हो जाती है। आधा किलो फूल को मटके के पानी में डाल दें। उसी पानी को कपड़े की सहायता से पूरे शरीर में फेर दें। इसके बाद लपट उतर जाती है। यानी लपट की जो बुखार होती है वह ठीक हो जाती है। शरीर में खुजली, त्वचा पर चकत्ते, सूजन, खसरा, चेचक जैसी बीमारियों से बचने के लिए पलाश के फूल के पानी से नहाने की सलाह दी जाती है। नहाने के इस पानी का जिक्र शास्त्रों में भी किया गया है। इसे किंशुक जल कहते हैं।
टेसू के महत्व को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि सन 1981 में भारत सरकार ने 35 पैसे का डाक टिकट जारी किया था। वही उत्तर प्रदेश सरकार ने 8 दिसंबर 2010 को पलाश को राज्य पुष्प घोषित किया।
पलाश का विदेशों में भी है सम्मान
पलाश का मान सम्मान भारत के अलावा अन्य देशों में भी है। पेड़ कितना महत्वपूर्ण है इसका अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि विदेशों में भी वहां की सरकारों ने पलाश पर डाक टिकट जारी किया। 25 अगस्त 2004 को बांग्लादेश, 1978 में थाईलैंड सहित कई देशों ने पलाश के पेड़ के फूल को सम्मान दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, 24 अगस्त 2004 को बांग्लादेश और 1978 में थाईलैंड सहित कई देशों ने पलाश के फूल को सम्मान स्वीकार किया है।