फैटी लिवर बीमारी अक्सर चुपचाप विकसित होती है, जिससे शुरुआती चरणों में लोगों को इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। लेकिन समय रहते इसकी पहचान करना और सावधानी बरतना बेहद जरूरी है क्योंकि यह समस्या बढ़कर लिवर फेल्योर जैसी गंभीर स्थिति में भी तब्दील हो सकती है। फैटी लिवर तब होती है जब लिवर की कोशिकाओं में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है, जो लिवर की सामान्य कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।
इस बीमारी के सामान्य और शुरुआती लक्षणों में सबसे आम है लगातार थकान महसूस होना। अक्सर लोग बिना कारण ज्यादा थका हुआ महसूस करते हैं, यहां तक कि पूर्ण नींद के बाद भी ताजगी महसूस नहीं होती। इसके अलावा, ऊपरी दाएं पेट के हिस्से में हल्का दर्द या बेचैनी भी हो सकती है, जो तब होती है जब लिवर सूज जाता है या उसमें वसा जमा होती है।
कई बार बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन कम हो जाना भी फैटी लिवर का संकेत हो सकता है क्योंकि लिवर के सही से काम न करने से शरीर में पोषक तत्वों का सही अवशोषण नहीं हो पाता। भूख कम लगना और मिचली की शिकायत भी आम हैं, जो लिवर की खराब स्थिति को दर्शाती हैं। इसके अलावा, पेट में अक्सर फूलना, गैस की समस्या और दस्त या मल का रंग हल्का होना भी संकेत हो सकते हैं।
गंभीर मामलों में त्वचा और आंखें पीली पड़ जाना (जॉन्डिस) एक गंभीर लक्षण है, जो दर्शाता है कि लिवर अत्यधिक दबाव में है। इसके साथ ही पैरों में सूजन, खुजली, और त्वचा पर चकत्ते आना भी हो सकता है क्योंकि लिवर शरीर से विषाक्त पदार्थों को सही तरीके से बाहर नहीं निकाल पाता।
महिलाओं में इसके अलावा हार्मोनल बदलाव और मासिक धर्म की अनियमितताएं भी देखी जा सकती हैं। लिवर रोग के उपचार में समय रहते पहचान और जीवनशैली में बदलाव बहुत अहम होते हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, अधिक पानी पीना और शराब से बचाव जैसे कदम इस बीमारी के इलाज में मददगार साबित होते हैं। अगर ये लक्षण महसूस हों, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि उचित जांच और उपचार किया जा सके।