पंजाबियों को डेयरिंग काम करना बहुत पसंद है। भगोड़े खालिस्तान (Khalistan) समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने भी इसी का फायदा उठाया। उसने पिछले 6 महीनों में पंजाबियों के एक छोटे से वर्ग के सामने खुद बेहद ही दिलेर और हिम्मतवाले इंसान की तरह पेश किया। अब जब पुलिस उसके पीछे लगी और वो जिस तरह दुम दबाकर भागा है, इस सब ने उसकी डेयरिंगबाज वाली छवि को धूल में मिला दिया है।
पुलिस के लिए सबसे अच्छी बात यही होती कि छापेमारी के दौरान उसे गिरफ्तार कर लिया जाता। मगर उसका इस तरह फरार होना, अब पंजाब में मजाक और मीम्स का विषय बन गया है। लोग सोच रहे हैं कि क्या ये वही आदमी है जो 'खालिस्तान' जैसी बड़ी-बड़ी बाते करता था। उसे हर हाल में लेने का दावा करता था।
दो SUV बदलने के बाद, वो एक मोटरसाइकिल से भागा, फिर उस मोटरसाइकिल में खराबी आने के बाद ई-रिक्शा पर लादकर ले गया और फिर 18 मार्च की शाम फिल्लौर के पास दूसरी मोटरसाइकिल पर देखा गया।
इस तरह से भागने पर पंजाबियों ने ही उसका मजाक उड़ाया है। पिछले 6 महीनों में उसके साथ हथियारबंद बॉडीगार्ड चलते थे, वे सब इस तरह धरे गए। इन सभी घटनाओं ने उसके स्वांग को खत्म कर दिया है।
उसकी इस छवि को खराब करने की पीछे सामने आ रहे CCTV फुटेज और तस्वीरों को भी एक अहम कारण माना जा सकता है। ये सब तस्वीरें उस दौरान की है, जब पुलिस अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के पीछे लगी थी।
क्या कोई सिख धर्मगुरु ऐसा कर सकता है?
इन तस्वीरों से यही लगता है, अब वो यही काम कर रहा है, जो वो है। यानी जो केंद्रीय एजेंसियों ने कहा था कि पाकिस्तान की ISI की तरफ से उसे पंजाब में परेशानी पैदा करने के लिए भेजा गया था।
इन फुटेज में दिखाया गया कि कैस एक बपतिस्मा प्राप्त सिख अपनी जान बचाने के लिए लंबे सफेद कपड़ों त्याग देता है और शर्ट और पेंट पहन लेता है। उसकी इस हरकत से राजनीतिक नेताओं को आश्चर्य होता है कि क्या एक बपतिस्मा प्राप्त सिख कभी इस तरह से चलता है।
पुलिस और खुफिया एजेंसियों की तरफ से किए गए खुलासे भी अमृतपाल के पंजाब में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई के दावों को ध्वस्त कर रहे हैं, क्योंकि उसका नाम अब ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी और उसे पंजाब में सप्लाई करने जैसे गुनाहों आ रहा है।
पंजाब में अब ड्रग्स माफिया और बंदूक के सौदागरों के साथ उसके आपराधिक संबंधों और कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करने और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिशों के बारे में बात हो रही है।
सिखों की पवित्र पुस्तक, गुरु ग्रंथ साहिब को अजनाला पुलिस स्टेशन ले जाने के उसके पहली हरकत ने उसे सिख धर्म गुरुओं की नजरों में अपराधी बना दिया था। सिखों की पवित्र सीट अकाल तख्त की समिति उसके खिलाफ जांच कर सजा भी मुकरर करने वाली थी।
अकाल तख्त के दखल के बाद अमृतपाल ने चुप रहने का फैसला किया था, क्योंकि वहां से होने वाली निंदा ISI के अमृतपाल सिंह को पंजाब में एक 'हथियार' के रूप में इस्तेमाल करने के कोशिशों को पटरी से उतार देती। उसके भागने से उस घृणित योजना को और नुकसान पहुंचा है, जिसे ISI ने परेशानी पैदा करने के लिए बुना था।
इतना ही नहीं UK, अमेरिका और कनाडा में पनप रहे खालितानी समूहों के लिए ये एक पेरशानी का सबब बन सकता है, क्योंकि अमृतपाल सिंह पर छापे के बाद पंजाब से ही इन समूहों और इनकी साजिशों को समर्थन नहीं मिला है। अमृतपाल सिंह को कानून तो देर सवेर मिल ही जाएगा, लेकिन फिलहाल पंजाब में उसका किस्सा अब खत्म ही समझा जाए।