अरुणाचल प्रदेश: कितना अहम है तवांग सेक्टर, जहां से भारतीय जवानों ने खदेड़े 300 से ज्यादा PLA सैनिक, LAC पर हुई झड़प
Arunachal Pradesh: तवांग सेक्टर (Tawang Sector) में भारत-चीन झड़प (India China Faceoff) में कम से कम छह सैनिक घायल हुए हैं और उनका इलाज गुवाहाटी (Guwahati) में चल रहा है
अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में LAC पर कई क्षेत्रों को लेकर दोनों देशों के अलग-अलग दावे हैं (FILE PHOTO)
Arunachal Pradesh: वास्तविक रेखा (LAC) पर एक बार फिर चीन (China) की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और भारतीय सेना (Indian Army) के बीच झड़प (Clash) हुई है। इस बार ये झड़प अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग सेक्टर (Tawang Sector) के यांग्त्से (Yangtse) में हुई है। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि तवांग सेक्टर में भारत-चीन झड़प (India China Faceoff) में कम से कम छह सैनिक घायल हुए हैं और उनका इलाज गुवाहाटी (Guwahati) में चल रहा है।
सूत्रों की मानें तो ये घटना 9 दिसंबर 2022 को तब हुई, जब PLA के सैनिक LAC को पार करने की कोशिश करने लगे। उन्हें रोकने के लिए भारतीय सेना ने भी माकूल जवाब दिया। इस झड़प में दोनों ही तरफ से कई सैनिक घायल हुए हैं। हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में अधिकारियों ने दावा किया है कि घायलों की संख्या चीन की तरफ ज्यादा है।
यह पहली बार नहीं है, जब अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना हुआ है। क्योंकि सीमा अपरिभाषित है। इसलिए क्षेत्र में गश्त करते समय भारतीय और चीनी सैनिकों का अक्सर आमना-सामना होता है।
दरअसल अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में LAC पर कई क्षेत्रों को लेकर दोनों देशों के अलग-अलग दावे हैं। जिसमें दोनों पक्ष अपने दावे की रेखा तक इलाके में गश्त करते हैं और 2006 से यही चलन है।
ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर भारती और चीन दोनों के लिए ही तवांग सेक्टर की क्या अहमियत है और रणनीतिक नजरिए से भी ये इलाका कितना अहम हो जाता है।
चीन से सटे पूर्वी भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में तवांग में एक तिब्बती बौद्ध मठ है। छठे दलाई लामा का जन्म तवांग में ही हुआ था। मठ के अभिलेखों के अनुसार, तिब्बत में खाया जाने वाला ज्यादातर खाना तवांग में उगाया जाता था और इस क्षेत्र में तिब्बती अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा था।
भले ही अंग्रेजों ने 1914 के शिमला समझौते के अनुसार तवांग पर दावा किया, लेकिन उन्होंने तवांग पर कभी शासन नहीं किया। भारत ने 1947 में आजादी हासिल की, लेकिन तवांग पर उसका कंट्रोल 1951 में हुआ, जब तिब्बती अधिकारियों को क्षेत्र से बाहर कर दिया गया।
ये सब भले ही तिब्बत पर चीन के नियंत्रण से कुछ साल पहले हुआ था, लेकिन चीन के विद्वान उस समय कोरियाई युद्ध में बीजिंग की सैन्य प्रतिबद्धता का लाभ उठाने में भारत की चालाकी को दोषी मानते हैं।
Arunachal Pradesh: तवांग पर बीजिंग के दावा सबसे बड़ी बाधा
ऐसा नहीं है कि विवादित भारत-चीन सीमा के दूसरे हिस्सों को सुलझाना आसान है, लेकिन नई दिल्ली के लिए, तवांग पर बीजिंग के दावा, सीमा समाधान तक पहुंचने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
2005 में दोनों देशों के बीच एक समझौते के तहत ये तय हुआ था कि "एक सीमा समझौते तक पहुंचने तक, दोनों पक्ष सीमावर्ती इलाकों में अपनी बसी हुई आबादी के उचित हितों की रक्षा करेंगे।"
इसका मतलब यह होगा कि तवांग भारत में आ जाएगा, लेकिन चीन का कहना है कि यह तिब्बत का एक अविभाज्य हिस्सा है। दाई बिंगुओ, जिन्होंने 2003 और 2013 के बीच भारत के साथ सीमा वार्ता के लिए बीजिंग के विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम किया। उन्होंने 2017 में एक लेख में लिखा था कि "सीमा विवाद के बने रहने का अहम कारण यह है कि (पूर्व में) चीन के उचित अनुरोध को पूरा नहीं किया गया है।"
चीन का पक्ष अब सख्त हो गया है और इसका सरकारी मीडिया अब "Zangnan" की बात करता है। इसका शाब्दिक अर्थ है "दक्षिणी तिब्बत", इसके तहत वो पूरे अरुणाचल को परिभाषित करता है। बीजिंग यहीं नहीं रुका। उसने पिछले साल Zangnan में 15 जगहों का नाम बदलकर उन्हें "मानक" नाम दिया।
तवांग मुद्दा भारत के साथ चीन के अशांत संबंधों में एक अहम कारक को उजागर करता है, जो है तिब्बत। दलाई लामा की मेजबानी भारत कर रहा, क्योंकि वह 1959 से यहां हैं। तिब्बत में 2008 की अशांति ने बीजिंग को चौंका दिया कि इस क्षेत्र पर अभी भी उसका पूरी तरह से नियंत्रण नहीं हुआ है।
ज्यादातर दूसरे सीमा विवादों के उलट, चीन की भारत नीति और सीमा विवाद के बारे में उसका नजरिया तिब्बत को लेकर उसके घरेलू लक्ष्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है।
पिछले कुछ सालों में भारतीय सेना ने भी तवांग सेक्टर में LAC के साथ-साथ मारक क्षमता और बुनियादी ढांचे में कई अहम सुधार किए हैं। साथ ही बाकी अरुणाचल प्रदेश (RALP) में भी इसी तरह की कोशिशें की जा रही हैं।
इसमें सड़क, पुल, सुरंग, आवास और दूसरी स्टोरेज फैसिलिटी, विमानन सुविधाएं और विशेष रूप से ऊपरी दिबांग घाटी क्षेत्र में कम्यूनिकेशन और सर्विलांस को अपग्रेड करना शामिल है।
The Hindu की एक रिपोर्ट के मुताबिक, PLA के गश्त करने के तरीकों और पैटर्न में भी बदलाव आया है। बड़े आकार के गश्ती दल अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार भारत की तैयारियों का जायजा लेने आते हैं।
साथ ही साथ ये लोग भारतीय जवानों को भड़काने और उकसाना की भी कोशिश करते हैं। पूर्वी लद्दाख में 2020 के गतिरोध से पहले, चीनी ठिकाने काफी हद तक LAC से काफी दूर रहे हैं।
सूत्रों ने ये भी बताया कि तवांग में ताजा झड़प के बाद दोनों पक्ष तुरंत इलाके से पीछे हट गए। उन्होंने आगे बताया कि घटना की जवाबी कार्रवाई में, इलाके में भारत के कमांडर ने शांति बहाल करने के लिए नियम और कायदे के अनुसार, इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग भी की थी।