कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन की बूस्टर डोज को काफी असरदार माना जा रहा है। भारत बायोटेक ने बुधवार को कहा कि एक स्टडी से यह प्रदर्शित हुआ है कि कोवैक्सीन की बूस्टर डोज में कोविड-19 के ओमीक्रोन और डेल्टा वेरिएंट से संक्रमण को रोकने की क्षमता है। इस बीच, एक नई स्टडी में में पाया गया है कि एस्ट्राजेनेका की बूस्टर डोज वैक्सजेवरिया (AstraZeneca Vaxzevaria vaccine) ओमीक्रोन के खिलाफ बहुत ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडी बनाती है।
बता दें कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बनाई है। जबकि भारत में ये वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) के नाम से दी जा रही है जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रही है। सीरम इंस्टीट्यूट के CEO अदार पूनावाला (Adar Poonawalla) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस डेटा को शेयर करते हुए इसे उत्साहजनक खबर बताया है।
सुरक्षा और इम्यूनोजेनेसिटी ट्रायल के शुरुआती डेटा से पता चला कि कोरोना वायरस की तीसरी डोज वैक्सजेवरिया ओमीक्रोन वेरिएंट के साथ-साथ बीटा, डेल्टा, अल्फा और गामा सहित अन्य वेरिएंट्स खिलाफ बहुत अच्छी एंटीबॉडी बनाती है। वैक्सजेवरिया को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जाना है। रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सजेवरिया या फिर mRNA वैक्सीन लगवाने वालों में इसकी बढ़ी हुई प्रतिक्रिया देखी गई है।
इससे पहले बुधवार को भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा कि एमोरी यूनिवर्सिटी में किए गए अध्ययन में यह प्रदर्शित हुआ है कि जिन लोगों को कोवैक्सीन की बूस्टर डोज शुरूआती दो डोज के छह महीने बाद दी गई ,उनमें SARS-CoV-2 के ओमीक्रोन और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी बनती नजर आई।
पूर्व के अध्ययनों में सार्स-कोवी-2 के अन्य वेरिएंट्स अल्फा, बीटा, डेल्टा, जीटा और कप्पा को रोकने में कोवैक्सीन की प्रभाव क्षमता प्रदर्शित हुई थी। अध्ययन के नतीजों का जिक्र करते हुए भारत बायोटेक ने कहा कि जिन लोगों को कोवैक्सीन की बूस्टर डोज दी गई, उनमें से 90 प्रतिशत से अधिक में संक्रमण को रोकने वाली एंटीबॉडी प्रदर्शित हुई।