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किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

यह शिकायत झारखंड के एक उर्दू अनुवादक और एक कार्यवाहक क्लर्क की ओर से दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, जब वह सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के संबंध में जानकारी लेने के लिए आरोपी के पास गया, तो आरोपी ने उसके धर्म का हवाला देकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया

Shubham Sharmaअपडेटेड Mar 04, 2025 पर 1:23 PM
किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट
किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि किसी को 'मियां-तियां' या 'पाकिस्तानी' कहना भले ही गलत हो, लेकिन यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अपराध नहीं है। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने एक सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी एक व्यक्ति के खिलाफ मामला बंद करते हुए यह टिप्पणी की।

यह शिकायत झारखंड के एक उर्दू अनुवादक और एक कार्यवाहक क्लर्क की ओर से दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, जब वह सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के संबंध में जानकारी लेने के लिए आरोपी के पास गया, तो आरोपी ने उसके धर्म का हवाला देकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसके सरकारी कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग किया।

इसके परिणामस्वरूप उस व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत अपराधों के लिए FIR दर्ज की गई।

झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, "अपीलकर्ता पर मुखबिर को 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। इसमें कोई संदेह नहीं कि दिए गए बयान घटिया हैं। हालांकि, इससे सूचना देने वाले की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती।"

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