सूत्रों से जानकारी मिली है कि चीन के सरकारी मीडिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए गए वीडियो (जिसमें गलवान घाटी में एक चीनी झंडा फहराते दिख रहा है) में दोनों देशों के बीच मौजूद असैन्य क्षेत्र का उल्लंघन नहीं हो रहा है। एक सरकारी अधिकीर ने कहा कि चीन ने गलवान घाटी के जिस इलाके में झंडा लगाया और फहराया, वो इलाका हमेशा से उसके ही कब्जे में रहा है और इस क्षेत्र को लेकर कोई नया विवाद नहीं है।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने News18.com को बताया कि इस वीडियो को चीनी क्षेत्र के अंदर अच्छी तरह से शूट किया गया था। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeiTY) के एक सूत्र ने कहा कि यह स्पष्ट है कि वीडियो घाटी के चीनी क्षेत्र में शूट किया गया था। इसलिए, इसके खिलाफ किसी भी जवाबी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं थी। बता दें कि वीडियो को एक जनवरी को चीनी मीडिया हैंडल से ट्वीट किया गया था, लेकिन इस पर चीन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।
चीन की तरफ से जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था, उसके बाद विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही विपक्ष के दूसरे नेताओं ने भी सरकार को निशाने पर ले लिया था। राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा था कि गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है। चीन को जवाब देना होगा। मोदी जी, चुप्पी तोड़ो।
सूत्रों ने कहा कि चीन की तरफ से सोशल मीडिया पर गलवान घाटी के जिस क्षेत्र में चीनी झंडा फहराते हुए वीडियो पोस्ट किया गया है, उस इलाके को लेकर कोई विवाद नहीं है। वह इलाका तो शुरुआत से चीनी नियंत्रण में रहा है। अधिकारी ने कहा कि दूसरे शब्दों में कहें तो चीन ने अपने इलाके में ही झंडा फहराया है। उसने गलवान नदी वाले उस इलाके में झंडा नहीं फहराया, जहां भारत-चीन सीमा विवाद चल रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जिस जगह पर चीनी झंडा फहराया गया था वह पीपी पॉइंट (पेट्रोल पॉइंट) 14 से करीब 1.2 किमी दूर है। पीपी 14 पर ही भारत और चीन के सैनिकों के बीच जून 2020 में हिंसक झड़प हुई थी। इस इलाके को लेकर भारत का दावा है कि चीन लगातार आगे बढ़ रहा है और अपनी हद पार कर रहा है। दोनों देशों के बीच ये लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। यह क्षेत्र लंबे समय से चीनी नियंत्रण में है।