सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार के 2016 के नोटबंदी (Demonetisation) के फैसले की पुष्टि करते हुए मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नवंबर 2016 में 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही था। इसके प्रकिया में कोई गड़बड़ी नहीं थी। इस मामले में संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया। इस फैसले से सिर्फ जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति जताई।
कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी का फैसला लेते समय 8 नवंबर 2016 के नोटिफिकेशन में कोई गलती नहीं थी। इसलिए उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोट बैन कर दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। जस्टिस एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ इस मामले पर अपना फैसला सुनाया है।
नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि नोटबंदी वैध था। अदालत ने कहा कि नोटबंदी के निर्णय की प्रक्रिया को गलत नहीं कहा जा सकता है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार नोटबंदी से पहले केंद्र सरकार और RBI के बीच सलाह-मशविरे के बाद हुआ था।
जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना वाले 5-जजों की पीठ ने साल 2016 में केंद्र सरकार द्वारा की गई नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 7 दिसंबर, 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें।
साल 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सर्वोच्च न्यायालय के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब ‘बीते वक्त में लौट कर’ कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।