सरकार के भारतमाला प्रोजेक्ट की रफ्तार सुस्त हो गई है। इस प्रोजेक्ट के लॉन्च होने के 7 साल बाद सरकार ने इसकी फंडिंग सीमित कर दी है। भारतमाला प्रोजेक्ट, रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवेज मिनिस्ट्री की फ्लैगशिप रोड कंस्ट्रक्शन स्कीम है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, 'भारतमाला के लिए कैबिनेट से मंजूरी की संभावना नहीं है।'
ऐसा लगता है कि कॉस्ट ज्यादा होने और मंत्रालयों के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। रोड, ट्रांसपोर्ट और हाइवेज मिनिस्ट्री ने जून 2024 में 22 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था। इसके तहत 2031-32 तक 30,600 किलोमीटर नेशनल हाइवे डिवेलप करने की बात है। हालांकि, कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं देने का फैसला किया है। इससे पहले मंत्रालय ने भारतमाला परियोजना के पहले चरण के तहत कई कैबिनेट नोट तैयार किए थे और ये नोट खारिज हो गए थे।
इस सिलसिले में नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज को भेजी गई ईमेल को कोई जवाब नहीं मिला। भारतमाला प्रोजेक्ट को कैबिनेट मामलों की आर्थिक कमेटी ने 2017 में मंजूरी दी थी, जिसमें 74,942 किलोमीटर के नेशनल हाइवेज के डिवेलपमेंट का ऐलान किया गया था। इनमें से 34,800 करोड़ के प्रोजेक्ट को पहले के चरण के तहत सितंबर 2022 में मंजूरी मिली थी। इसमें 5.35 लाख करोड़ के निवेश का मामला नहीं था।
सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालयों से दबाव की वजह से यह प्रोजेक्ट बाधित हो गया है। दिसंबर 2023 के मुताबिक, सिर्फ 15,549 किलोमीटर यानी पहले चरण के 43 पर्सेंट हिस्से पर ही काम पूरा हो पाया था। इसके अलावा, 10,869 किलोमीटर के निर्माण के लिए काम अवॉर्ड किया गया है। हालांकि, बाकी प्रोजेक्ट्स इसलिए अवॉर्ड नहीं किया गया, क्योंकि संशोधित कॉस्ट अनुमानों को कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली।