India ने कोरोना महामारी से जबर्दस्त रिकवरी दिखाई है। चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (CEA) अनंत नागेश्वरन ने शनिवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी से जुड़े सभी मानकों पर देखें तो सभी आर्थिक गतिविधियां कोरोना से पहले के स्तर से ज्यादा हो गई है। 2020 के मार्च में इंडिया में कोरोना को काबू में करने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगाया था। इससे आर्थिक गितिविधियां ठप पड़ गई थीं।
हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के एक कार्यक्रम में नागेश्वरन ने कहा कोरोना की महामारी से रिकवरी में इंडिया ने अनुकरणीय लचीलापन दिखाया है। उन्होंने कहा कि पॉलिसी लेवल पर सरकार की तरफ से जल्द और सटीक कदम उठाए गए। RBI ने भी अपने स्तर पर कदम उठाकर इसमें मदद की। उन्होंने कहा कि विकासशील और विकसित देशों के मुकाबले कई मानकों पर इंडियन इकोनॉमी मजबूत और स्थिर है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि विकसित देश लो इनफ्लेशन से हाई इनफ्लेशन की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे वक्त में हम इनफ्लेशनरी प्रेशर को कंट्रोल में रखने में सफल रहे हैं। उन्होंने 2027 तक इंडियन इकोनॉमी के 5 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर हो जाने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि IMF के अनुमान के मुताबिक, 2027 तक इंडिया की जीडीपी 5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी।
नागेश्वरन ने कहा, "आज हम प्राइवेट इनवेस्टमेंट में फिर से तेजी देख रहे हैं। देश में अंतराष्ट्रीय करेंसी मार्केट में आए उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है। पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट में तेजी ग्रोथ इस बात का संकेत हैं कि इनफॉर्मल सेक्टर में बड़ा बदलाव आया है।"
इससे पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा था कि अगर डॉलर में जीडीपी हर 7 साल में दोगुनी होती है तो यह 2040 तक 20 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। तब प्रति व्यक्ति आय 15,000 डॉलर हो जाएगी।"
RBI ने बुधवार (8 जून) को फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया। दरअसल, RBI ने ग्रोथ के अपने पहले के अनुमान को बरकरार रखा। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि अप्रैल और मई के डेटा से पता चलता है कि इंडिया की इकोनॉमिक ग्रोथ मजबूत बनी हुई है।