क्या उतार-चढ़ाव वाले बाजार में आपको मुनाफा देने वाले शेयरों की तलाश है? अगर हां तो आप बैंकों (Banks) और फाइनेंशियल कंपनियों (Financial Companies) के शेयरों में पैसे लगा सकते हैं। यह कहना है कि Wright Research के फाउंडर सोनम श्रीवास्तव का। उन्होंने मनीकंट्रोल से बातचीत में शेयर बाजार की मौजूदा हालत और इसके फ्यूचर के बारे में भी बातचीत की।
श्रीवास्तव ने कहा कि रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंक और एनबीएफसी के लिए अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। उनके पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पैसे हैं। RBI ने CRR भी नहीं बढ़ाया है। इसका फायदा बैंक और एनबीएफसी को मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि शेयर बाजार में मौजूदा स्तर से 10-20 फीसदी की गिरावट नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि जून सहित अगले 7 महीने पिछले पांच महीनों के मुकाबले बेहतर रह सकते हैं। इसकी वजह यह है कि ग्लोबल इनफ्लेशन में कमी के संकेत हैं। इनवेंट्री अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है। रेट हाइक साइकिल उम्मीद से पहले पूरी हो सकती है।
श्रीवास्तव ने कहा कि हम RBI की तारीख करते हैं कि उसने ग्लोबल मार्केट की प्रॉब्लम को समझने की कोशिश की। फिर इनफ्लेशन के अनुमान को बढ़ा दिया। इससे यह पता चलता है कि इंडिया का केंद्रीय बैंक फैसले लेने में दूसरों से पीछे नहीं है। इंडिया में कंज्यूमर डिमांड में रिकवरी आ रही है। क्रेडिट मार्केट में भी मजबूती है। इंडियन इकोनॉमी यूरो-डॉलर के बीच फंसी हुई है। यह अमेरिका में पैदा होने वाली प्रॉब्लम से नहीं बच सकती।
इंटरेस्ट रेट में और वृद्धि के अनुमान के बारे में उन्होंने कहा कि हमें इंटरेस्ट रेट के जल्द 6 फीसदी पहुंच जाने की उम्मीद है। फेडरल रिजर्व की रेट साइकिल भी अनुमान के मुकाबले छोटी रहने की उम्मीद है। मेरा मानना है कि इंडिया में RBI के रेट बढ़ाने का सिलसिला इस कैलेंडर ईयर में खत्म हो जाएगा।
इकोनॉमी को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के चलते ज्यादा असर किन सेक्टरों पर पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इकोनॉमी में अनिश्चितता की वजह से रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और मेटल सेक्टर पर दबाव दिख रहा है। कर्ज महंगा हो रहा है। इंटरेस्ट रेट बढ़ने का असर ग्रोथ पर पड़ेगा। इससे डिमांड में कमी आ सकती है। ग्रोथ में तेजी आने के बाद ही इन सेक्टर में रौनक लौटने की उम्मीद है।