क्या है E-Highway? भारत में कहां बनने जा रही है ऐसी पहली रोड? नितिन गडकरी ने खुद दी डिटेल

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऐलान (Nitin Gadkari) ने ऐलान किया कि सरकार प्रदूषण में कमी के लिए दिल्ली और मुंबई के बीच एक इलेक्ट्रिक हाईवे (electric highway) बनाना चाहती है

अपडेटेड Jul 13, 2022 पर 2:35 PM
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नितिन गडकरी ने भारी वाहनों के मालिकों से एथेनॉल, मेथेनॉल के साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल शुरू करने का आग्रह किया है

E-Highway : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने ऐलान किया कि सरकार प्रदूषण में कमी के लिए दिल्ली और मुंबई के बीच एक इलेक्ट्रिक हाईवे (electric highway) बनाना चाहती है। उन्होंने भारी वाहनों के मालिकों से एथेनॉल, मेथेनॉल के साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल शुरू करने का आग्रह किया है।

हाइड्रोलिक ट्रेलर ओनर्स एसोसिएशन द्वारा 11 जुलाई को आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमारी दिल्ली से मुंबई तक एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की योजना है। एक ट्रॉलीबस की तरह आप इस पर एक ट्रॉली ट्रक भी चला सकते हैं।”

इसके अलावा, गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारी 2.5 लाख करोड़ रुपये से टनल्स का निर्माण कर रहे हैं।


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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर ई-हाईवे बनाने की योजना

ध्यान रखना चाहिए कि पिछले संसदीय सत्र के दौरान, गडकरी ने कहा था कि सरकार 1,300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi Mumbai Expressway) पर एक अलग “ई-हाईवे” (e-highway) बनाने की कोशिश कर रही है, जहां ट्रक और बस 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगे।

दिल्ली-जयपुर तक ई-हाईवे बनाने का भी है प्रस्ताव

केंद्रीय मंत्री ने बीते साल एक मौके पर कहा था कि “उनका दिल्ली से जयपुर तक एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने का सपना है। यह अभी तक एक प्रस्तावित परियोजना है। हम एक विदेशी कंपनी के साथ इस पर बातचीत कर रहे हैं।”

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2016 में, गडकरी ने कहा था कि भारत में ई-हाईवे बन सकते हैं, जो स्वीडन की तरह होंगे।

क्या होता है ई-हाईवे?

समझा जाता है कि ई-हाईवे एक ऐसी सड़क होती है जो चलते हुए वाहनों को विशेष रूप से ओवरहेड पावर लाइंस के जरिए बिजली उपलब्ध कराती है।

हालांकि, फिलहाल निर्माणाधीन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे में इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए एक अलग लेन बनने का अनुमान है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों और टू व्हीलर्स की तुलना में यह संभावित रूप से इलेक्ट्रिक ट्रकों और बसों के लिए अनुकूल हैं। पश्चिमी देशों में यह नया कॉन्सेप्ट है। सीमेंस ने 2012 में जर्मनी में ट्रॉली जैसी गाड़ियों का परीक्षण शुरू किया था।

समझा जाता है कि 60 एमपीएच गति के साथ रॉड से युक्त हाइब्रिड डीजल-इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को ओवरहेड पावर लाइंस से युक्त हाईवे पर पहुंचने पर ऊपर चढ़ा दिया जाता है।

 

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First Published: Jul 13, 2022 8:20 AM

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