भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारतपे (BharatPe) से जुड़े हालिया मामलों पर नजर रख रहा है। वह यह जानना चाहता है कि क्या इसमें कॉर्पोरेट गवर्नेंस नियमों का उल्लंघन हुआ है और क्या बैंकों के प्रमोटर्स के लिए तय मानकों पर इसका कोई असर पड़ेगा। दरअसल, यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (Unity SFB) के प्रमोटर्स में भारतपे शामिल है। मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने यह जानकारी दी है।
भारतपे के लिए मुश्किल तब शुरू हुई थी, जब अशनीर ग्रोवर से जुड़ा एक ऑडियो क्लिप सामने आया था। अशनीर ग्रोवर भारतपे के को-फाउंडर हैं। इस ऑडियो में ग्रोवर कोटक महिंद्रा के एक इंप्लॉयी को गालियां दे रहे हैं। वह कोटक से इसलिए नाराज हैं, क्योंकि उसने नायका कंपनी के आईपीओ में उनके (ग्रोवर) इन्वेस्टमेंट को फाइनेंस करने से कर दिया था।
39 साल के ग्रोवर ने इस ऑडियो क्लिप को फेक बताया है। लेकिन, कोटक महिंद्रा बैंक के बॉस उदय कोटक से ग्रोवर के मुआवजे की डिमांड के बाद से यह मामला विवादित हो गया है। कोटक महिंद्रा बैंक ने ग्रोवर पर अपने इंप्लॉयी को गाली देने और धमकाने का आरोप लगाया है। इस मसले के तूल पकड़ने के बाद ग्रोवर को तीन महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया। इसके बाद उनकी पत्नी को भी कंपनी से बाहर कर दिया गया।
रिस्क एडवायजरी फर्म अल्वारेज एंड मार्शल (एएंडएम) ने भारतपे के बोर्ड को एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें भारतपे में ऑपरेशनल मसलों और वित्तीय घोटाले की जानकारी दी गई है। इसमें दो तरह के घाटालों के बारे में संकेत दिया गया है। पहला रिक्रूटमेंट से जुड़ा है। दूसरा, ऐसे वेडर्स को पेमेंट से जुड़ा है, जिनका वजूद ही नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह समझ में नहीं आता कि कंपनी क्यों ऐसे वेंडर्स से खरीदारी कर रही थी, जो वास्तव में थे ही नहीं। साथ ही क्यों कंपनी चीजों की डिलीवरी का प्रूफ देने में नाकाम रही। एएंडएम ने मामले की व्यापक जांच की जरूरत बताई है। मनीकंट्रोल ने इस रिपोर्ट को देखी है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, "केंद्रीय बैंक ने फिट एंड प्रॉपर के साथ कई क्राइटेरिया तय की है। इसमें पास्ट परफॉर्मेंस, कैपिटल प्रीपेयर्डनेस आदि शामिल हैं। हाई स्टैंडर्ड के कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मानकों का पालन करना जरूरी है। आरबीआई इसीलिए हालिया मामलों के बाद यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या इसमें कॉर्पोरेट गवर्नेंस का उल्लंघन हुआ है।"
दूसरे सूत्र ने बताया कि आरबीआई का काम डिपॉजिटर्स के हितों की सुरक्षा करना है। उन्होंने कहा, "इसलिए केंद्रीय बैंक हमेशन बैंकों के प्रमोटर्स की फाइनेंशियल पॉजिशन और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को करीब से देखता है। इस मामले में भी आरबीआई इन चीजों को देख रहा है।" दोनों सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर मनीकंट्रोल को ये बातें बताईं।
आरबीआई ने पिछले साल 18 जून को सेंट्रम फाइनेंशियल सर्विसेज को भारतपे के साथ मिलकर एक स्मॉल फाइनेंस बैंक बनाने का एप्रूवल दिया था। यह पार्टनरशिप इस साल 25 जनवरी को तब वजूद में आई, जब आरबीआई और सरकार ने यूनिटी एसएफबी को पीएमसी बैंक का खुद में विलय करने की इजाजत दे दी। पीएमसी बैंक में 2019 में बड़ा घोटाला हुआ था। घोटाले के बाद इसके कई डिपॉजिटर्स ने सुसाइड कर लिया था।
अगर आरबीआई को भारतपे में कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उल्लंघन का सबूत मिलता है तो वह यूनिटी एसएफबी में पीएमसी बैंक के विलय के प्रोसेस पर रोक लगा सकता है। यह भारतपे के साथ ही सेंट्रम ग्रुप को बड़ा झटका होगा।