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BharatPe में रिक्रूटमेंट फ्रॉड के सबूत मिले, फर्जी फर्मों को किया गया करोड़ों का पेमेंट

भारतपे एचआर कंसल्टेंट्स के जरिए इंप्लॉयीज का रिक्रूटमेंट करता था। इसके लिए वह एचआर कंसल्टेंट्स को फीस चुकाता था। जांच में पाया गया है कि कंपनी खुद स्टाफ की भर्ती करती थी। लेकिन इसके लिए फीस कई स्टाफिंग कंपनियों को चुकाई जाती थी, जिनका इस रिक्रूटमेंट से कुछ भी लेनादेना नहीं था

अपडेटेड Feb 04, 2022 पर 12:40 PM
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शुरुआती जांच में यह पाया गया है कि 30 वेंडर्स से जुड़ा कुल एक्सपेंडिचर 53.25 करोड़ रुपये था। एएंडएम ने भारतपे के बोर्ड को व्यापक जांच की सलाह दी है। इससे यह पता लगेगा कि कंपनी क्यों ऐसे वेंडर्स को पेमेंट कर रही थी, जिनका वजूद ही नहीं है।

शुरुआती जांच में BharatPe में रिक्रूटमेंट फ्रॉड का पता चला है। इससे भारतपे खासकर इसके को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) की मुश्किलें बढ़नी तय है। कंपनी पहले से ही अशनीर ग्रोवर से जुड़े एक विवाद की वजह से चर्चा में है। यह जांच एक बाहरी कंपनी ने की है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

अल्वारेज एंड मार्शल (A&M) की एक रिपोर्ट 24 जनवरी को भारतपे के बोर्ड को सौंपी गई थी। फाइनेंशियल फ्रॉड के आरोपों के दो मुख्य आधार हैं। इसमें से पहला रिक्रूटमेंट से घोटाले से जुड़ा है। दूसरा, ऐसे वेडर्स को पेमेंट से जुड़ा है, जो वास्तव में हैं ही नहीं। दरअसल, भारतपे की स्थापना के बाद से अशनीर ग्रोथ की पत्नी माधुरी ग्रोवर कंपनी में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रही थीं। वह प्रोक्योरमेंट और एडमिन डिपार्टमेंट की हेड थीं।

भारतपे एचआर कंसल्टेंट्स के जरिए इंप्लॉयीज का रिक्रूटमेंट करता था। इसके लिए वह एचआर कंसल्टेंट्स को फीस चुकाता था। जांच में पाया गया है कि कंपनी खुद स्टाफ की भर्ती करती थी। लेकिन इसके लिए फीस कई स्टाफिंग कंपनियों को चुकाई जाती थी, जिनका इस रिक्रूटमेंट से कुछ भी लेनादेना नहीं था। पता चला है कि ये कंपनियां आपस में जुड़ी हुई थीं और इनका कनेक्शन माधुरी ग्रोवर से था।


एएंडएम ने रिक्रूटमेंट कंपनियों को चुकाई गई फीस के इनवॉयसेज को देखा है। इंप्लॉयीज ने ज्वानिंग तारीख को कनफर्म किया है, जिसका जिक्र वेंडर इनवॉयस में है। लेकिन, इंप्लॉयीज ने ऊपर बताई गई हायरिंग फर्मों के जरिए रिक्रूट किए जाने से इनकार किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें इन फर्मों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

कम से कम तीन मामलों में पाया गया है कि माधुरी ग्रोवर ने वेंडर्स से सीधे इनवॉयसेज लिए थे। फिर, इन्हें पेमेंट के लिए अकाउंट टीम को फॉरवर्ड कर दिया था। ये कंपनियां ज्यादातर सोल प्रॉपराइटरशिप थीं। ये इनवॉयसेज श्वेतांक जैन ने तैयार किए थे, जो माधुरी के भाई हैं। इन रिक्रूटमेंट फर्मों के बीच कई तरह की समानताएं पाई गई हैं। उनके ईमेल एड्रेस, फिजिकल एड्रेस, फॉरमैट्स, बैंक ब्रांचेज आदि एक जैसे हैं। सबसे खास बात यह कि ये सभी पानीपत में हैं। यह भी पता चला है कि माधुरी असल में पानीपत की रहने वाली हैं।

इन्वेस्टिगेशन में पाया गया है कि सिर्फ दो वेंडर को उस काम के लिए भारतपे की तरफ से करीब 4 करोड़ रुपये के पेमेंट किए गए, जो कभी किए ही नहीं गए थे। यह भी सामने आया है कि करीब 51 करोड़ रुपये का पेमेंट ऐसे 30 वेंडर्स को किया गया, जिनका कोई वजूद ही नहीं है। इन वेंडर्स को किए गए पेमेंट को डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने पकड़ा था। भारतपे ने सर्विस टैक्स की डिमांड को चैलेंज करने के बजाय पेनाल्टी के साथ 11 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान किया।

21 अक्टूबर, 2021 को डीजीसीआई की सर्च में इन गडबड़ियों का पता चला था, कोटक वेल्थ मैनेजमेंट के साथ अशनीर ग्रोवर की कानूनी लड़ाई शुरू होने के ठीक 10 दिन पहले। डीजीजीआई ने टैक्स चोरी के आरोप में कंपनी के अधिकारी को 1 नवबंर को नोटिस भेजा था। कंपनी ने डीजीजीआई को 11 नवंबर को नोटिस का जवाब भेजा था। इस लेटर पर दीपक जगदिशराम का सिग्नेचर था। एएंडएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि गुप्ता प्रोक्योरमेंट के लिए जिम्मेदार था, वह माधुरी का ब्रदर-इन-लॉ है।

शुरुआती जांच में यह पाया गया है कि 30 वेंडर्स से जुड़ा कुल एक्सपेंडिचर 53.25 करोड़ रुपये था। एएंडएम ने भारतपे के बोर्ड को व्यापक जांच की सलाह दी है। इससे यह पता लगेगा कि कंपनी क्यों ऐसे वेंडर्स को पेमेंट कर रही थी, जिनका वजूद ही नहीं है।

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