RBI Policy : 4 दिसंबर से RBI की 3 दिनों की MPC की बैठक शुरू हो गई है। 6 दिसंबर को सेंट्रल बैंक अपना फैसला भी सुनाएगा। लेकिन बाजार इस बैठक को सबसे अहम मान रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले हफ्ते ही GDP के आंकड़ों ने निराश किया था। तीसरी तिमाही में देश की GDP 6 फीसदी के नीचे फिसल गई है। उधर महंगाई है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि RBI का ध्यान कहां होगा। ग्रोथ को बढ़ाने पर या महंगाई कम करने पर। लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए RBI क्या रणनीति अपनाएगा? क्या इसके लिए CRR में कटौती होगी? और सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या इस बार RBI दरों में कटौती करेगा और अगर हां तो कितनी? इन सब पर चर्चा के लिए सीएनबीसी-आवाज़ की खास पेशकश आवाज MPC में मेहमानों का एक बेहद खास पैनल मौजूद रहा। इसमें शामिल हुए DSP Finance के VC & CEO जयेश मेहता, बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनिस और CRISIL के चीफ इकोनॉमिस्ट डीके जोशी।
CRISIL के डी. के. जोशी का कहना है कि RBI का फोकस महंगाई पर बना रहेगा। मंहगाई दर अब भी 4 फीसदी के लक्ष्य से ज्यादा है। RBI का फोकस ग्रोथ पर भी बना रहेगा। Q2 में GDP अनुमान से काफी कम रही है। Q3 और Q4 में GDP में सुधार देखने को मिलेगा। कई कारणों से GDP दर में गिरावट आई है। Q2 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने अंडरपरफॉर्म किया है। सरकार की स्पेंडिंग भी Q2 में कमजोर रही है। देश में महंगाई अब भी काफी ज्यादा है। देश में खाद्य महंगाई दर बढ़ी है। आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई काबू में आएगी। खरीफी फसलों का उत्पादन काफी अच्छा हुआ है। रबी फसलों के भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद है है। फरवरी में ब्याद दरों में कटौती हो सकती है। इस बार CRR में कटौती देखने को मिल सकती है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मदन सबनवीस का कहना है कि RBI का फोकस महंगाई कम करने पर रहेगा। GDP ग्रोथ बढ़ाने पर भी RBI फोकस करेगा। इस बार OMO या CRR में कटौती देखने को मिल सकती है। लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए OMO या CRR दर घटेगी। दिसंबर में लिक्विडिटी में सुधार देखने को मिलेगा। सरकार के खर्चों में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। अभी 6.2 फीसदी की महंगाई दर काफी ज्यादा है। नवंबर में भी महंगाई दर ज्यादा ही थी। महंगाई दर ज्यादा होने पर RBI दरें नहीं घटाएगा।
DSP फाइनेंस के जयेश मेहता का कहना है कि महंगाई दर कम करना RBI की प्राथमिकता होगी। Q2 में महंगाई दर अनुमान से ज्यादा रही है। RBI महंगाई दर के लक्ष्य में बदलाव कर सकता है। आगे महंगाई दर में गिरावट आने की उम्मीद है। RBI GDP ग्रोथ अनुमान भी घटा सकता है। अगर GDP गिर रही है तो दरें घटानी पड़ती हैं। दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती नहीं होगी। इस बार CRR में कटौती का ऐलान हो सकता है। CRR घटने से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी। CRR को घटाना OMO से कहीं ज्यादा बेहतर विकल्प है।
डी. के. जोशी ने आगे कहा कि इस बार CRR में कटौती देखने को मिलेगी। CRR घटने से लिक्विडिटी बढ़ती है। लिक्विडिटी बढ़ती है तो ब्याज दरों पर दबाव पड़ता है। फरवरी में ब्याज दरों में कटौती देखने को मिलेगी। RBI GDP के आंकड़ों के आधार पर फैसला लेगा। सेंट्रल बैंक छोटे-छोटे कदम लेता है। CRR में बड़ी कटौती की उम्मीद कम है। फरवरी में ब्याज दरों में 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद है।
मदन सबनवीस का कहना है कि हमें डॉनल्ड ट्रंप के नीतियों पर भी नजर रखनी होगी। ट्रंप की नीतियों से महंगाई बढ़ने की आशंका है। हालात ठीक रहे तो फरवरी में दरें घट सकती हैं। इसके बाद अप्रैल में भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना है। ऑर्गेनाइज सेक्टर ने शहरी मांग में गिरावट की बात कही है।
महंगाई बढ़ने से शहरी मांग में गिरावट आई है। सर्विस की मांग अब भी काफी ज्यादा बनी हुई है। टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी में शहरी लोगों ने काफी खर्च किया है। खाद्य महंगाई दर में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। दूसरी छमाही में ग्रामीण मांग में तेजी की उम्मीद है। अर्बन ऑर्गेनाइज सेक्टर की चिंताए जल्द दूर होंगी।
जयेश मेहता का भी मानना है कि फरवरी में दरें घटने की काफी संभावना है। फरवरी तक देश का बजट भी आ जाएग। महंगाई दर गिरने पर दरें घट सकती हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग में काफी बढ़त देखने को मिली है। ऑर्गेनाइज सेक्टर में स्ट्रक्चरल बदलाव आया है। ऑर्गेनाइज सेक्टर की ताकत उनका डिस्ट्रीब्यूशन रहा। ई-कॉमर्स से अन-ऑर्गेनाइज सेक्टर का कारोबार बढ़ा है।