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GDP Growth: FY25 में 6.5 से 6.8% की दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, डेलॉयट इंडिया का अनुमान

GDP Growth: डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में वृद्धि दर अनुमान से कम रही है क्योंकि चुनाव को लेकर अनिश्चितताओं के बाद भारी बारिश और जियो-पॉलिटिकल घटनाओं से घरेलू मांग और निर्यात प्रभावित हुआ था

अपडेटेड Dec 29, 2024 पर 2:23 PM
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Indian Economy: अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 फीसदी की दर से बढ़ेगी।

Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जबकि अगले वित्त वर्ष (2025-26) में ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) की वृद्धि दर कुछ अधिक यानी 6.7 से 7.3 फीसदी के बीच रहेगी। डेलॉयट इंडिया ने यह अनुमान लगाया है। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में वृद्धि दर अनुमान से कम रही है क्योंकि चुनाव को लेकर अनिश्चितताओं के बाद भारी बारिश और जियो-पॉलिटिकल घटनाओं से घरेलू मांग और निर्यात प्रभावित हुआ था।

इन वजहों से ग्रोथ को बढ़ावा मिलने की उम्मीद

उन्होंने कहा, हालांकि, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत काफी जुझारू क्षमता दिखा रहा है। इनमें कंजप्शन ट्रेंड या सर्विसेज ग्रोथ, एक्सपोर्ट्स में हाई वैल्यू मैन्युफैक्चरिंग की बढ़ती हिस्सेदारी और कैपिटल मार्केट शामिल हैं। डेलॉयट ने कहा कि सरकार द्वारा लगातार इन्फ्रॉस्ट्रक्चर डेवलपमेंट, डिजिटलीकरण पर ध्यान देने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के उपायों से कुल दक्षता में सुधार होगा जिससे ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।


मजूमदार ने कहा, ‘‘हम सतर्क के साथ आशावादी बने हुए हैं और उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 6.5 से 6.8 फीसदी के बीच रहेगी। अगले वित्त वर्ष में यह 6.7 से 7.3 फीसदी के बीच रहेगी।’’ इस महीने की शुरुआत में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के अपने वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया था। जून में आरबीआई ने वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

डेलॉयट ने कहा कि हाई वैल्यू सेगमेंट मसलन इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और केमिकल जैसे क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग एक्सपोर्ट्स ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की बढ़ती मजबूती को दिखाता है। इस बीच, रिटेल और डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की बढ़ती भागीदारी की वजह से कैपिटल मार्केट्स में स्टेबिलिटी देखने को मिली है। हालांकि, पिछले ढाई महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजारों में जबरदस्त बिकवाली की है।

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