घरेलू मैनुफैक्चरिंग कंपनियों को सपोर्ट देने वाली पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) का दायरा अब और बढ़ेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज गुरुवार 27 जुलाई को इससे जुड़ी अहम जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि सरकार केमिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स सेक्टर के लिए भी प्रोडक्ट-लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीम लाने पर विचार कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2047 तक एनर्जी के मामले में आत्मनिर्भर होना है और 2070 तक नेट जीरो कॉर्बन एमिशन का लक्ष्य हासिल करने की है। उन्होंने ये बातें इंडस्ट्री बॉडी FICCI की तरफ से आयोजित ग्लोबल केमिकल्स एंड पेट्रोकेमिकल्स मैनुफैक्चरिंग हब्स इन इंडिया पर आयोजित एक सम्मेलन में कही।
एनर्जी के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 500 गीगावॉट से अधिक नॉन-फॉसिल जेनेरेशन कैपेसिटी बढ़ाना पड़ेगा। सरकार अब तक टेलीकॉम, इलेक्ट्रॉनिक्स, व्हाइट गुड्स, कपड़ा और फार्मा सहित कई क्षेत्रों के लिए 14 पीएलआई योजनाओं की घोषणा कर चुकी है।
PLI के दायरे में क्यों लाने की है योजना
वित्त मंत्री के मुताबिक केमिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स सेक्टर की महत्ता इससे समझ सकते हैं कि यह 80 हजार प्रोडक्ट्स तैयार करती है। यह कंस्ट्रक्शन, पैकेजिंग, टेक्सटाइल और एग्रीकल्चर समेत इकनॉमी के कई सेक्टर को प्रभावित करती है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस सेक्टर में मैनुफैक्चरिंग के लिए दुनिया को किसी वैकल्पिक ठिकाने की तलाश है और ऐसे में भारत के पास इसमें आगे बढ़ने का अच्छा मौका है। इस सेक्टर में यहां से अप्रैल-सितंबर 2022 तक 900 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ था और आयात 3333 करोड़ डॉलर का था। स्पेशियलिटी केमिकल्स में भारत की हिस्सेदारी 3200 करोड़ डॉलर की है।
इन बातों पर वित्त मंत्री ने दिया जोर
वित्त मंत्री का कहना है कि इस सेक्टर की कुछ कंपनियों को जीएसटी सिस्टम के तहत इनवर्टेड ड्यूटी के नियम से नुकसान हो सकता है लेकिन यह पता लगाना होगा कि क्या इससे किसी और लेवल पर फायदा मिल रहा है? इनवर्टेड ड्यूटी का नियम तब लगता है कि जब इनपुट प्रोडक्ट्स पर जीएसटी की दरें फाइनल गुड से अधिक होती हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि भारतीय कंपनियों को टिकाऊ प्रक्रिया अपनाने पर ध्यान देना होगा क्योंकि बिना इसके विदेशी कंपनियों के साथ ज्वाइंट वेंचर उनके लिए फायदेमंद नहीं होगा। इसके लिए उन्हें तेजी से तकनीकी बदलाव करना होगा।
वित्त मंत्री ने केमिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स सेक्टर के लिए टिकाऊ प्रोडक्ट्स और प्रोसेस को सबसे अहम चुनौती बताया है। कौशल पर फोकस समेत इंडस्ट्री 4.0 को तेजी से अपनाए जाने की जरूरत है। इंडस्ट्री 4.0 मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के डिजटलीकरण का अगला चरण है जिसमें डेटा और कनेक्टिविटी एनालिटिक्स भी शामिल है।