मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में भारत अभी तक 550 अरब डॉलर से अधिक की चीजें इंपोर्ट आयात कर चुका है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि वित्त वर्ष 2022 में भारत का इंपोर्ट बिल रिकॉर्ड ऊंचाई पर रह सकता है और यह 600 अरब डॉलर के आंकड़े को भी पार कर सकता है।
भारत के इंपोर्ट बिल के अधिक रहने के पीछे सोने, हीरे और इंडस्ट्रियल इनपुट की कीमतों में आई तेजी रही। अधिक कीमत के चलते इंपोर्ट के बदले अधिक बिल का भुगतान करना पड़ा। वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में भी इनकी कीमतें ऊंची ही बनी रहने की उम्मीद है।
सरकार ने हाल ही में पहली बार 400 अरब डॉलर से अधिक का एक्सपोर्ट करने का रिकॉर्ड बनाया है। सरकार के विभिन्न स्तर पर इसे लेकर कई बयान देखे गए। हालांकि इंपोर्ट बिल में बढ़ोतरी को लेकर सरकार खामोश है। बुधवार 23 मार्च को जब 400 अरब डॉलर के रिकॉर्ड एक्सपोर्ट या निर्यात की जानकारी देने के लिए सरकार की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया तो उसमें इंपोर्ट के आंकड़े को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि सरकार बढ़तें इंपोर्ट बिल को लेकर चिंतित है। कॉमर्स डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, "वित्त वर्ष 2022 के हर महीने में आयात बढ़ा है और सरकार इस बढ़ते इंपोर्ट बिल के खतरों से वाकिफ है। इसे लेकर एक एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है।"
अब तक का सबसे अधिक व्यापार घाटा
अधिकारी ने आगे कहा, "वित्त वर्ष 2022 में सालाना इंपोर्ट 600 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। मार्च 2020 में 31.16 अरब डॉलर का इंपोर्ट हुआ था, जबकि मार्च 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 48.3 अरब डॉलर हो गया। हम उम्मीद कर रहे हैं कि मार्च 2022 का आंकड़ा कोरोना-पूर्व स्तर से अधिक रह सकता है और यह करीब 50 अरब डॉलर के पास हो सकता है।"
इसके चलते भारत इस साल 200 अरब डॉलर का व्यापार घाटा दर्ज कर सकता है, जो अब तक का सबसे अधिक व्यापार घाटा होगा। कुल इंपोर्ट और कुल एक्सपोर्ट के बीच जो घाटा होता है उसे व्यापार घाटा कहते हैं।
वित्त वर्ष 2021 के पहले 11 महीनों में व्यापार घाटा 176 अरब डॉलर था, जो इंपोर्ट बिल में बढ़ोतरी को दिखाता है। अधिकारियों का कहना है कि 9 साल पहले 2012-13 में सबसे अधिक 190 अरब डॉलर का व्यापार घाटा दर्ज किया गया था और इस साल इस रिकॉर्ड के टूटने का अनुमान जताया जा रहा है।
इसके चलते भारत का चालू खाता घाटा भी बढ़ने की संभावना है। चालू खाता घाटे में हमेशा से सबसे बड़ा हिस्सा व्यापार घाटे का होता है, लेकिन इसमें विदेशों से भेजे जाने वाले नेट इनकम ट्रांसफर को भी जोड़ा जाता है। नोमुरा ने हाल में इंपोर्ट में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए कहा था कि वित्त वर्ष 2023 में भारत का करेंट अकाउंट डेफिसिट यानी चालू खाता घाटा जीडीपी के 2.6 फीसदी रह सकता है और वित्त वर्ष 2022 में इसके जीडीपी के 1.7 फीसदी रहने का अनुमान है।