भारत का कुल कर्ज (Outstanding debt or bond) चालू वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2) में बढ़कर 2.47 लाख करोड़ डॉलर (205 लाख करोड़ रुपये) हो गया। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। बीते वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में कुल कर्ज 2.34 लाख करोड़ डॉलर (200 लाख करोड़ रुपये) था। इंडियाबॉन्ड्स डॉट कॉम के को-फाउंडर विशाल गोयनका ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “केंद्र सरकार का कर्ज सितंबर तिमाही में 1.34 लाख करोड़ डॉलर यानि 161.1 लाख करोड़ रुपये रहा, जो मार्च तिमाही में 1.06 लाख करोड़ डॉलर यानी 150.4 लाख करोड़ रुपये था।”
साल 2021 में शुरू हुई इंडियाबॉन्ड्स डॉट कॉम शेयर बाजार नियामक सेबी में रजिस्टर्ड ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म है। उसने यह रिपोर्ट आरबीआई, क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों को कलेक्ट कर तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार पर 161.1 लाख करोड़ रुपये यानि कुल कर्ज का सर्वाधिक 46.04 प्रतिशत है। इसके बाद राज्य सरकारों की कर्ज में हिस्सेदारी 24.4 प्रतिशत यानी 604 अरब डॉलर (50.18 लाख करोड़ रुपये) है।
इसमें कहा गया है कि राजकोषीय खर्च 111 अरब डॉलर यानि 9.25 लाख करोड़ रुपये है, जो कुल कर्ज का 4.51 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कुल कर्ज में कॉरपोरेट बॉन्ड की हिस्सेदारी 21.52 प्रतिशत थी, जो 531 अरब डॉलर (44.16 लाख करोड़ रुपये) है।