आरबीआई द्वारा 10 दिसंबर को जारी ब्रिक्स (BRICS)इकोनॉमिक्स बुलेटिन के मुताबिक कोरोना महामारी से जूझ रहे ब्रिक्स देशों में भारत की इकोनॉमी रिकवरी दूसरे ब्रिक्स देशों की तुलना में ज्यादा तेजी से होगी। इस बुलेटिन में कहा गया है कि 2021 की प्रत्याशित ग्रोथ रिकवरी के अनुमानों पर नजर डालें तो भारत की रिकवरी दूसरे ब्रिक्स देशों से ज्यादा रहने की संभावना है।
इस रिपोर्ट में IMF के कोविड -19 से निपटने के लिए अलग -अलग देशों द्वारा उठाए गए कदमों पर आधारित आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ब्रिक्स देशों में ब्राजील के करोना से निपटने के प्रयास अधिकांश उभरते बाजारों और ब्रिक्स देशों की तुलना में बड़े रहे हैं।
इसके अलावा साउथ अफ्रीका और भारत ने इस महामारी से निपटने के लिए बड़ी मात्रा में राहत उपाय किए हैं। इस बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि मार्च 2021 से भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर ने स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने पर मजबूर किया। इससे तमाम कठोर कदम उठाने पड़े और इकोनॉमी के कई सेक्टरों की गतिविधियां थम गईं जिससे भारत की रिकवरी गति धीमी हो गई।
इसी बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि रुस और साउथ अफ्रीका कोविड-19 के तीसरे लहर के दौर में चले गए हैं। जो उनकी इकोनॉमी की रिकवरी के लिए बड़ा खतरा है। चीन में भी हाल ही में कोविड -19 के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है जिससे यहां भी प्रतिबंध लगाने पड़े हैं हालांकि भारत में इसका संक्रमण अभी तक इतना घातक नहीं रहा है।
बतातें चले कि ब्रिक्स इकोनॉमिक्स बुलेटिन 2021 को ब्रिक्स कॉन्टिन्जेंट रिजर्व अरेंजमेंट (CRA) रिसर्च ग्रुप द्वारा तैयार किया गया है। इसमें ब्रिक्स देशों के सेंट्रल बैंक के सदस्य शामिल होते हैं। CRA रिसर्च ग्रुप की स्थापना ब्रिक्स की रिसर्च , इकोनॉमी एनालिसिस और निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए की गई है।
गौरतलब है कि कोविड -19 के प्रभाव से निपटने के लिए आरबीआई और भारत सरकार ने कई तरह के राहत उपयों का एलान किया है। आरबीआई ने इकोनॉमी में लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए स्पेशल लिक्विडिटी विंडो बनाए हैं जिसके तहत कोरोना के मार से प्रभावित सेक्टर को सस्ते कर्ज की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।