RBI Monetary Policy: आज लगातार चौथी बार केंद्रीय बैंक RBI ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले आखिरी बार फरवरी 2023 में इसमें बदलाव किया गया था और तब से यह 6.50 फीसदी पर बरकरार है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) के इस फैसले से होम लोन की ईएमआई पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। मार्केट को भी ऐसा ही अनुमान था कि आरबीआई इस बार भी दरों को बरकरार रखेगा। महंगाई को लेकर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस पर फोकस बना हुआ है। उन्होंने कहा कि घरेलू और ग्लोबल स्तर पर महंगाई की चिंता अभी भी बनी हुई है। इस वित्त वर्ष 2024 के अंत तक इसके तय टारगेट 4 फीसदी के पार रहने का अनुमान है। जीडीपी को लेकर MPC (मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी) का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष यह 6.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी।
CPI Inflation को लेकर क्या हैं अनुमान
आरबीआई गवर्नर का कहना है कि दालों की कम खेती से महंगाई का जोखिम बढ़ा है। हालांकि उन्होंने आने वाले दिनों में महंगाई के कम होने का भी अनुमान लगाया है। इस वित्त वर्ष 2023-24 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित महंगाई दर 5.4 फीसदी पर रह सकती है। सितंबर तिमाही के अनुमान को 6.2 फीसदी से बढ़ाकर 6.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही के अनुमान को घटाकर 5.7 फीसदी से 5.6 फीसदी किया गया है। वहीं मार्च 2024 तिमाही के अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया गया है और इसमें महंगाई 5.2 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। अप्रैल-जून 2024 में यह 5.2 फीसदी की दर से बढ़ सकती है और इस अनुमान में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
6 बार बढ़ोतरी के बाद से आज चौथी बार कोई बदलाव नहीं
केंद्रीय बैंक आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में लगातार 6 बार इजाफा किया था। मई 2022 में इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.90 फीसदी किया था और अब यह 6.50 फीसदी पर है। आखिरी बार फरवीर 2023 में इसे 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी पर किया गया था। इसके बाद से आज लगातार चौथी बार इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। मई 2022 से पहले की बात करें तो मई 2020 में रेपो रेट को 4.40 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया गया था और उसके बाद से कोविड और बढ़ी हुई महंगाई दर के चलते लंबे समय तक इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था।
पिछली MPC में क्या फैसला हुआ था
अगस्त में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा था। मौद्रिक नीतियों की समिति के सभी छह सदस्य इस रेट को बरकरार रखने के पक्ष में थे। हालांकि एक को छोड़ बाकी सदस्य नीतियों पर ‘विद्ड्रॉल ऑफ अकोमोडेशन’ के पक्ष में भी रहे। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2024 की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5 फीसदी पर बनाए रखा लेकिन खुदरा महंगाई बढ़ने की दर यानी रिटेल इंफ्लेशन में 5.1 फीसदी से बदलाव कर 5.4 फीसदी पर कर दिया। इसके अलावा यूपीआई लाइट से पैसों के लेन-देन की सीमा को 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया।