RBI ने इंटरेस्ट रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। उसने रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बनाए रखा है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान 8 दिसंबर को सुबह 10 बजे किया। इंटरेस्ट रेट नहीं बढ़ाने का फैसला 3 दिन तक चली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद लिया गया। इंटरेस्ट रेट में किसी तरह की बदलाव नहीं होने की उम्मीद पहले से की जा रही थी। फिर भी, इंटरेस्ट रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं होने का स्टॉक मार्केट ने स्वागत किया। NSE का मुख्य सूचकांक Nifty 50 इस खबर के बाद 21,000 का लेवल पार कर लिया। RBI ने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाया है। स्टॉक मार्केट का सेंटिमेंट इससे भी मजबूत हुआ। शेयर बाजार में पहले से ही तेजी का रुख जारी है। RBI ने गवर्नर ने कहा कि जब ग्लोबल इकोनॉमीज में चुनौतियां बनी हुई हैं तब इंडिया की जीडीपी तेजी से बढ़ रही है।
मॉनेटरी पॉलिसी क्या बताती है?
RBI हर दो महीने पर मॉनेटरी पॉलिसी पेश करता है। इसमें वह इंटरेस्ट रेट (Repo Rate) में जरूरत के हिसाब से बदलाव करने के साथ ही इकोनॉमी की स्थिति और चुनौतियों के बारे में बताता है। वह इकोनॉमी की ग्रोथ और इनफ्लेशन के अनुमान के बारे में भी बताता है। यही वजह है कि केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी पर फाइनेंशियल मार्केट्स, स्टॉक मार्केट्स और कंपनियों की करीबी नजरें होती हैं। इससे पता चलता है कि इकोनॉमी की सेहत कैसी है।
FY24 में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान
इस मॉनेटरी पॉलिसी की खास बात यह है कि आरबीआई गवर्नर ने जीडीपी की ग्रोथ के अनुमान को बढ़ा दिया है। पहले RBI ने फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में जीडीपी की ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। अब इसे बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। उन्होंने इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को भी बढ़ाया है। इसे 6 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी कर दिया गया है।
जीडीपी ग्रोथ बढ़ने के होंगे क्या असर?
RBI का जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाना इंडियन इकोनॉमी की अच्छी सेहत का संकेत है। इससे अगली तिमाहियों में आर्थिक गतिविधियां और बढ़ने की उम्मीद है। आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से नौकरियों के मौके बढ़ेंगे। इससे लोगों की जेब में पैसा जाएगा। पहले से ही आर्थिक गतिविधियां अच्छी हैं। फेस्टिवल सीजन में लोगों ने जबर्दस्त खरीदारी की। इस दौरान 4.5 लाख करोड़ रुपये की बिक्री की उम्मीद जताई गई है। आर्थिक गतिविधियां बढ़ने का असर स्टॉक मार्केट पर भी पड़ेगा। पहले से ही BSE और NSE के प्रमुख सूचकांक रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। इकोनॉमी की बेहतर सेहत स्टॉक मार्केट्स में तेजी जारी रहने के लिए जरूरी है।