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RBI Policy Impact on Home Loans: EMI में नहीं होगा कोई बदलाव, रेपो रेट 6.5% पर बरकरार

आपके होम लोन की EMI में कोई बदलाव नहीं होगा। ब्याज का बोझ अभी अपरिवर्तित रहेगा। RBI की MPC ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। 1 अक्टूबर, 2019 से, बैंकों ने फ्लोटिंग-रेट रिटेल लोन को एक बाहरी बेंचमार्क से जोड़ दिया है। ये ज्यादातर मामलों में रेपो रेट है। लिहाजा रेपो रेट में कोई भी बदलाव सीधे इन लोन की ब्याज दरों को प्रभावित करता है

अपडेटेड Feb 08, 2024 पर 11:33 AM
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SBI, Bank of Baroda, HDFC Bank और ICICI Bank जैसे अग्रणी बैंक वर्तमान में 8.35-8.75 प्रतिशत से शुरू होने वाली होम लोन दरों की पेशकश करते हैं

आपके होम लोन की समान मासिक किश्तें (equated monthly installments (EMI) और ब्याज का बोझ अभी अपरिवर्तित रहेगा। आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (RBI Monetary Policy Committee (MPC) ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे अग्रणी बैंक वर्तमान में 8.35-8.75 प्रतिशत से शुरू होने वाली होम लोन दरें ऑफर करते हैं। 1 अक्टूबर, 2019 से, बैंकों ने फ्लोटिंग-रेट रिटेल लोन को एक बाहरी बेंचमार्क से जोड़ दिया है। ये ज्यादातर मामलों में रेपो रेट है। इसलिए रेपो रेट में कोई भी बदलाव सीधे इन लोन की ब्याज दरों को प्रभावित करता है।

पिछली दर वृद्धि का कर्जदारों पर प्रभाव

यह समझना महत्वपूर्ण है कि मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो रेट में 250 बीपीएस की बढ़ोतरी का मतलब है कि होम लोन लेने वाले कर्जदारों पर लोन का बोझ बढ़ गया है। इसका कारण ये है कि इससे EMI बढ़ी है। लोन की अवधि बढ़ गई है। कई मामलों में ये अवधि सेवानिवृत्ति यानी कि रिटायरमेंट की आयु से भी आगे बढ़ गई है।


अपने होम लोन का पूर्व भुगतान (prepayment) करें

आप EMI बढ़ाने की बजाय अपनी बचत और निवेश से लोन का आंशिक रूप से समय से पहले भुगतान (prepayment) करने पर विचार कर सकते हैं। हर महीने बस कुछ अतिरिक्त पैसे भरने से लंबी अवधि के लिए आपका ब्याज भुगतान कम हो सकता है।

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एक अच्छी रणनीति यह है कि आप अपने वार्षिक बोनस का एक हिस्सा हर साल अपने होम लोन का समय से पहले भुगतान करने के लिए तय करें।

ऋणदाता (lender) बदलें

वर्तमान परिस्थियों में बैंक की ओर से चल रहे प्रस्तावों के साथ ऋणदाता को बदलने के अवसर मिलते हैं।

उच्च ब्याज परिस्थितियों को देखते हुए, ऐसे मामले में आपका सबसे अच्छा विकल्प कम दर पर अपने लोन को रीफाइनेंस (refinance) करना और हायर EMI बरकरार रखना है। इससे आपको लोन लेने की लागत को कम रखने में मदद मिलेगी।

 

 

 

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