RBI Monetary Policy Meet 2024 Updates: केंद्रीय बैंक RBI ने आज चालू वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी मौद्रिक नीति का ऐलान किया है। इस बार भी रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) अपनी रिव्यू मीटिंग के बाद इसका ऐलान किया। रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर है। आम लोगों की निगाहें इस पर लगी हुई थी कि क्या इस बार राहत मिल पाएगी। अगर आरबीआई रेपो रेट की दरों में कटौती करता तो आम लोगों को सबसे बड़ी राहत लोन की किश्त कम होने के रूप में मिलती। हालांकि अधिकतर एक्सपर्ट्स के अनुमान के मुताबिक इस बार भी दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। अभी कुछ समय पहले अमेरिकी फेड और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।
आरबीआई के मौद्रिक नीतियों की कमिटी में 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने के पक्ष में अपना फैसला दिया है। MSF में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह 6.75 फीसदी पर स्थिर है।
लगातार 6 बढ़ोतरी के बाद लगातार 6 बार से स्थिर है Repo Rate
केंद्रीय बैंक आरबीआई ने लगातार छठी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि उसके पहले इसमें लगातार 6 बार इजाफा किया गया था। आरबीआई ने 6 बार में रेपो रेट में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। इसके बाद फरवरी 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला थम गया और तब से लेकर 6 बार की बैठकों में इसे यथावत रखने का फैसला किया गया।
RBI MPC Meet Highlights: महंगाई पर क्या कहा गवर्नर शक्तिकांत दास ने
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इंफ्लेशन यानी महंगाई दर लक्ष्य के दायरे में आ रही है। इंफ्लेशन यानी महंगाई बढ़ने की दर का टारगेट 2-6 फीसदी है। वैश्विक स्तर पर कारोबारी स्पीड कमजोर बनी हुई है लेकिन रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं और अब इसके तेजी से आगे बढ़ने के संकेत है। हालांकि आरबीआई गवर्नर का कहना कि इस साल 2024 में वैश्विक ग्रोथ स्थिर रह सकती है लेकिन अलग-अलग सेक्टर में इसकी चाल अलग-अलग रहेगी। महंगाई बढ़ने की रफ्तार सुस्त पड़ी है और अभी इसमें और नरमी के आसार हैं।
आरबीआई गवर्नर के मुताबिक मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच सार्वजनिक कर्ज का हाई लेवल कुछ बड़े देशों में भी आर्थिक स्थिरता पर गंभीर चिंताएं पैदा कर रहा है। विकसित देशों में तो विकासशील देशों की तुलना में तो यह और अधिक ही है। वैश्विक पब्लिक डेट और जीडीपी का अनुपात इस दशक के आखिरी तक 100% तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि ब्याज की ऊंची दरें और वैश्विक स्तर पर ग्रोथ की सुस्त रफ्तार नए पैमाने पर तनाव पैदा कर रहा है। ऐसे में कर्ज का बोझ हल्का करने की जरूरत है ताकि ग्रीन ट्रांजिशन समेत अहम प्रॉयोरिटी एरियाज में नए निवेश के लिए जगह बनाई जा सके।