केंद्र सरकार को उम्मीद है कि ज्यादातर राज्य सरकारें पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए बाजार से उधार लेंगी। वे 2023-24 में बगैर किसी शर्त 3.5 फीसदी तक उधार लेने की लिमिट का इस्तेमाल कर सकती हैं। उन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए वे कई चीजों मुफ्त में देने का वादा किया था। स्टेट डेवलपमेंट लोन का इस्तेमाल करने में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और पंजाब के सबसे आगे रहने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि इन राज्यों में सरकार चलाने वाली राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को कई चीजें मुफ्त में देने का वादा किया था। फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक सीनियर अफसर ने मनीकंट्रोल को यह बताया।
उधार लेने की लिमिट घटा रहा केंद्र
केंद्र सरकार फाइनेंस कमीशन की सलाह को ध्यान में रखते हुए लगातार राज्यों के उधार लेने की सीमा को घटा रही है। कोरोना की महमारी के बाद पैसे की जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2021-22 में राज्यों के उधार लेने की सीमा बढ़ाकर 5 फीसदी (राज्य के जीडीपी का) कर दी थी। लेकिन, इस फाइनेंशियल ईयर में इसे घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया गया है। 2022-23 में यह सीमा 4 फीसदी थी। इसमें पावर सेक्टर रिफॉर्म्स के लिए लिया जाने वाला लोन भी शामिल है।
FY23 में राज्यों ने लिए 7.58 लाख करोड़ कर्ज
पिछले दो साल में राज्यों की तरफ से उधार से जुटाए जाने वाला पैसा RBI के इंडिकेटिव कैलेंडर से कम रहा है। पिछले फाइनेंशियल ईयर में राज्यों ने करीब 7.58 लाख करोड़ रुपये उधार से जुटाए थे। हालांकि, यह 2021-22 के 7.02 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा था, लेकिन यह तय टारगेट के मुकाबले कम था। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने मार्च में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया था कि 2023-24 में राज्य सरकारें बाजार से 8.2 लाख करोड़ रुपये उधार ले सकती हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि उधार पर आने वाली कॉस्ट के लिए राज्य सरकारें ज्यादातर केंद्र सरकार से मिलने वाले जीएसटी से जुड़े मुआवजे पर निर्भर हैं।
अप्रैल से अगस्त के दौरान लिए 2.72 लाख करोड़ कर्ज
इस साल अप्रैल से अगस्त (28 तारीख) के दौरान राज्यों ने 2.72 लाख करोड़ रुपये उधार लिए हैं। यह इस फाइनेंशियल ईयर की पहली छमाही में तय 4.37 लाख करोड़ रुपये के अमाउंट से कम है। अभी यह पता नहीं है कि राज्य सितंबर में उधार से कितने पैसे जुटाएंगे। लेकिन, ऐसा लगता है कि उधार से जुटाई गई कुल रकम RBI के इंडिकेटिव कैलेंडर से कम रहेगा। अधिकारी ने यह भी बताया कि राज्य सरकारें NABARD से भी उधार ले रही हैं।