देश में गरीबी को लेकर एक अच्छी खबर आई है। दरअसल साल 2021 में खत्म हुए पांच सालों के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी बाहर आए हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे अच्छा सुधार देखने को मिला है। यह आंकड़े नीति आयोग की तरफ से जारी किए गए हैं। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के दूसरे संस्करण के मुताबिक साल 2015-16 में बहुआयामी गरीबी का आंकड़ा 24.85 फीसदी था। जो कि साल 2019-2021 में 9 फीसदी घट कर 14.96 प्रतिशत पर आ गया था।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से कम हुई है गरीबी
ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं शहरी इलाकों में भी गरीबी 8.65 प्रतिशत से घटकर 5.27 प्रतिशत पर आ गई है। नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक 'राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक : प्रगति समीक्षा 2023' में बताया गया है कि 2015-16 और 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।
नीति आयोग ने कहा गरीबी के मामाले में आया है सुधार
नेशनल एमपीआई हेल्थ, एजुकेशन और जीवन स्तर पर लोगों के जीवन अभावों को मापता है। इसमें 12 आयामों को शामिल किया जाता है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे आयाम शामिल किए जाते हैं। नीति आयोग के मुताबिक इन पांच सालों में सभी 21 आयामों में सुधार देखने को मिला है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट भी रही है पॉजिटिव
वहीं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में UNDP और OPHI की तरफ से जारी की गई ग्लोबल MPI के नए अपडेट के मुताबिक 2005/2006 से 2019/2021 तक केवल 15 में भारत में कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। नीति आयोग की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेजी से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में कमी देखने को मिली है।