शहरों में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) घटी है। इसके मुख्य दो कारण हैं। पहला, कोरोना की दूसरी लहर के बाद रोजाना नए मामलों की संख्या कम हुई है। दूसरा, पाबंदियां घटने से फिर से आर्थिक गतिविधियां (Economic Activities) कोरोना से पहले से स्तर पर आ रही हैं। पिछले साल जुलाई-सितंबर तिमाही में शहरों में बेरोजगारी की दर घटकर 9.8 फीसदी पर आ गई। इससे पहले की तिमाही में यह 12.6 फीसदी थी। सरकार ने 22 मार्च को अनइम्पलॉयमेंट पर रिपोर्ट जारी की है।
पिछले साल जनवरी-मार्च के दौरान शहरों में 15 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर 9.3 फीसदी थी। स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) से यह जानकारी मिली है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद बेरोजगारी दर में गिरावट का अनुमान पहले से था।
लेबर फोर्स डेटा को थोड़ी देर से रिलीज किया गया है। इंडिया में बेरोजगारी की स्थिति बताने वाला यह एकमात्र आधिकारिक डेटा है। 2021 की तीसरी तिमाही में अर्बन इंप्लॉयमेंट रेट में काफी कमी आई है, फिर भी यह कोरोना से पहले से स्तर के मुकाबले काफी ज्यादा है। चिंता की बात यह है कि अनइंप्लॉयमेंट में बड़ी गिरावट के साथ लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) में मामूली वृद्धि हुई है।
फीमेल अनइम्पलॉयमेंट रेट कोरोना की दूसरी लहर के बाद कम था। जुलाई-सितंबर 2021 के दौरान यह 11.6 फीसदी था, जबकि जनवरी-मार्च 2021 के दौरान यह 11.8 फीसदी था। हालांकि, जनवरी-मार्च 2021 के दौरान फीमेल एलएफपीआर 130 बेसिस प्वॉइंट्स कम था।
स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री की तिमाही पीएलएफएस रिपोर्ट में अर्बन एरिया को शामिल किया जाता है। यह करेंट वीकली स्टेट्स के आधार पर अनइंप्लॉयमेंट रेट का कैलकुलेशन करता है। एक व्यक्ति को एक हफ्ते में तब बेरोजगार माना जाता है, जब उसे किसी भी दिन एक घंटे के लिए भी काम नहीं मिलता है, जबकि वह किसी दिन कम से कम एक घंटे काम के लिए उपलब्ध होता है।