अमेरिकी फेड रिजर्व ने कोरोना महामारी यानी करीब चार साल के बाद बेंचमार्क इंटेरेस्ट रेट में कटौती की है। अमेरिकी फेड ने इस बार दरों में 0.50 फीसदी की कटौती की है और अभी इस साल आधे फीसदी की कटौती का संकेत और दिया है। इस साल अभी अमेरिकी फेड की दो और बैठक होनी है। अब भारतीय केंद्रीय बैंक RBI पर मार्केट की निगाहें हैं कि वह क्या फैसला लेता है- क्या आरबीआई भी रेपो रेट में कटौती करेगा या एसबीआई के चेयरमैन सीएस शेट्टी के अनुमान के मुताबिक अभी कटौती की संभावना नहीं दिख रही है। यहां अमेरिकी फेड के फैसले के बाद आरबीआई के फैसले के बारे में बताया जा रहा जो इसने पिछले दस वर्षों में लिए हैं।
US Fed के फैसले के बाद RBI ने लिया यह फैसला
दिसंबर 2015 से दिसंबर 2018 के बीच अमेरिकी फेड ने बेंचमार्क रेट में 225 बीपीएस यानी 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी की जबकि आरबीआई ने रेपो रेट में इस दौरान 0.25 फीसदी कम कर दिया। फिर अगले साल वर्ष 2019 के अगस्त से दिसबंर के बीच अमेरिकी फेड ने बेंचमार्कट इंटेरेस्ट रेट में 0.75 फीसदी की कटौती की तो आरबीआई ने 0.25 फीसदी की कमी की। मार्च 2020 यानी कि कोरोना महामारी की मार जब शुरू हुई थी तो अमेरिकी फेड ने रेट में 1.50 फीसदी की कटौती कर दी और आरबीआई ने 0.40 फीसदी। इसके बाद जब इकॉनमी पटरी पर आने लगी तो मार्च 2022-जुलाई 2023 के बीच अमेरिकी फेड ने बेंचमार्क रेट में 5.25 फीसदी की बढ़ोतरी की और आरबीआई ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की। अब सितंबर 2024 में अमेरिकी फेड ने 0.50 फीसदी की कटौती की है तो आरबीआई का फैसला क्या होगा, इस पर मार्केट की नजरें हैं।
Repo Rate में कटौती की कितनी है गुंजाइश?
पब्लिक सेक्टर में देश के सबसे बड़े बैंक SBI के चेयरमैन सीएस शेट्टी का मानना है कि फूड इनफ्लेशन पर अनिश्चितता के चलते पॉलिसी रेट में कटौती की संभावना नहीं दिख रही है। वहीं वैश्विक इनवेस्टमेंट बैंक जेपीमॉर्गन के चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट सज्जीद चिनॉय (Sajjid Chinoy) का भी मानना है कि आरबीआई कटौती का फैसला लेने में जल्दी नहीं करेगा। सीएनबीसी-टीवी18 से बाचतीत में उन्होंने कहा कि आरबीआई के गवर्नर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि फूड इनफ्लेशन सिर्फ एक ही महीने नहीं बल्कि कुछ तिमाहियों तक 4 फीसदी पर रहे।