बिहार में शिक्षा व्यवस्था दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। जिससे अभिभावकों और छात्रों की चिंता बढ़ गई है। सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खस्ता बताई जा रही है। जहां शिक्षा की गुणवत्ता में गिरवाट आई है। ऐसे में सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कमर कस ली। अब बिहार के स्कूलों में अध्यपक क्या कर रहे हैं, इसकी जांच पड़ताल की जाएगी। इस दौरान अभिभावकों का फीडबैक भी लिया जाएगा। जिन अध्यापकों की शिकायत मिलेगी। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी की गई है। अपर मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिला शिक्षा अधिकारी को इस मामले में आदेश दिया है।
वहीं बिहार के शिक्षा विभाग ने अध्यापकों की छुट्टी को लेकर एक नियम बनाने की तैयारी में है। शिक्षकों को अब कागज में छुट्टी का एप्लीकेशन नहीं देना होगा। उन्हें अब छुट्टी के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना होगा।
ACS ने कहा कि अध्यापक बच्चों को पढ़ा रहे हैं या नहीं, इस बारे में अभी तक कोई चर्चा नहीं की गई है। ऐसे में स्कूल में जांच पड़ताल की जाएगी कि अध्यापक स्कूल में पढ़ा रहे हैं या नहीं। इसका मकसद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। शिक्षा के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है। उन्होंने कहा कि टाइम पास करने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग के इस कदम से शिक्षकों की टेंशन बढ़ गई है। वहीं सरकारी स्कूलों की जांच पड़ताल से प्रधानाचार्य बेहद खुश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि इस आदेश से कोई भी अध्यापक देरी से स्कूल नहीं आएंगे। आमतौर पर प्रधानाचार्य को ही अध्यापकों को समय से स्कूल पहुंचने के लिए कहना पड़ता है।
इन अध्यापकों से मांगे गए डॉक्यूमेंट्स
दिसंबर 1995 के बाद नियुक्ति नियमित शिक्षकों को मैट्रिक ट्रेनिंग वेतन देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया कि सरकार भेदभाव कर रही है। इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है। वहीं कोर्ट ने इस मामले में अध्यापकों से सभी डॉक्यूमेंट्स मांगे हैं।