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University of Southampton: गुरुग्राम में खुलेगा पहला विदेशी कैंपस, अब भारत में रहकर UK की टॉप यूनिवर्सिटी से छात्र कर सकेंगे पढ़ाई

University of Southampton: ब्रिटेन में स्थित साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी भारत में कैंपस खोलने वाली पहली विदेशी यूनिवर्सिटी बनने वाली है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 2023 में भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन विनियमों की घोषणा की थी

अपडेटेड Aug 30, 2024 पर 12:53 PM
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University of Southampton: ब्रिटेन की साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी हरियाणा के गुरुग्राम में अपना कैंपस खोलेगी

Southampton University in India: ब्रिटेन की मशहूर साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के तहत भारत में अपना कैंपस स्थापित करने वाली पहली विदेशी विश्वविद्यालय बन गई है। जुलाई 2025 से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट सहित विभिन्न कोर्सेस की पढ़ाई शुरू होगी। साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी की कैंपस गुरुग्राम में खोले जाने की संभावना है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। रैंकिंग में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन को दुनिया की टॉप 100 यूनिवर्सिटीज में शामिल किया गया है।

साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी (University of Southampton) ने एक बयान में कहा कि उसका दिल्ली-एनसीआर परिसर देश में शिक्षा, रिसर्च और ज्ञान के आदान-प्रदान तथा उद्यम गतिविधियों को बढ़ावा देगा। अधिकारियों के अनुसार, साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी ने एक शाखा परिसर खोलने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसे यूजीसी की स्थायी समिति ने नियमों के अनुसार मंजूरी दे दी है। समिति में भारत और विदेश के जाने-माने शिक्षाविद शामिल हैं।

भारत में रहकर ले सकेंगे डिग्रियां


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक UGC अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा, "साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के भारतीय कैंपस द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्रियां मेजबान विश्वविद्यालय के समान ही होंगी। भारत में साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के शाखा परिसर में पेश किए जाने वाले कार्यक्रमों में समान शैक्षणिक और गुणवत्ता मानक होंगे।"

उन्होंने कहा, "साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के भारतीय कैंपस में शैक्षणिक कार्यक्रम जुलाई 2025 में शुरू होने की उम्मीद है। पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रम बिजनेस एंड मैनेजमेंट, कंप्यूटिंग, कानून, इंजीनियरिंग, कला एवं डिजाइन, जैव विज्ञान और जीवन विज्ञान पर केंद्रित विषयों में होंगे।"

साउथेम्प्टन भारत में एंट्री करने वाली पहली यूनिवर्सिटी

ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय और वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय ने गुजरात के गिफ्ट सिटी में पहले ही अपने कैंपस स्थापित कर लिए हैं। लेकिन, साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी यूजीसी मानदंडों के तहत भारत में कैंपस स्थापित करने वाली पहली विदेशी विश्वविद्यालय होगी। साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी ब्रिटेन में अग्रणी रसेल ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज का संस्थापक सदस्य है।

भारत-ब्रिटेन के बीच शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह घटनाक्रम भारत के शैक्षिक मानकों को उच्चतम वैश्विक स्तर तक बढ़ाने और भारत-ब्रिटेन के बीच शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर कदम को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि इस तरह के प्रयास हमारे युवाओं को काम के लिए तैयार करेंगे और वैश्विक समझ और सहयोग की भावना को बढ़ावा देंगे।" विदेश मंत्री ने इस पहल पर प्रकाश डाला कि इससे शैक्षिक क्षेत्र में 'ब्रांड इंडिया' की मजबूत छाप स्थापित करने में मदद मिलेगी।

जयशंकर ने कहा कि भारत आज शिक्षा को देश और दुनिया के बीच अधिक गहन जुड़ाव को गति देने के लिए एक "महत्वपूर्ण साधन" के रूप में देखता है। केंद्रीय मंत्री जयशंकर ने कहा, "आज का कार्यक्रम भारत और ब्रिटेन के बीच मजबूत और बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों का प्रमाण भी है... इस प्रगति के केंद्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 है।" उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 एक ऐसी नीति है जो "अंतरराष्ट्रीयकरण की वकालत करती है।" इसका उद्देश्य भारत को "शिक्षा में वैश्विक केंद्र" के रूप में स्थापित करना है।

शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस घटनाक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में परिकल्पित "स्वदेश में अंतरराष्ट्रीयकरण" के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया, "मुझे खुशी है कि विश्व स्तर पर प्रसिद्ध कई उच्च शिक्षा संस्थान शीर्ष भारतीय संस्थानों के साथ बहुआयामी सहयोग के साथ-साथ भविष्य के वैश्विक शिक्षा और प्रतिभा केंद्र के रूप में भारत की क्षमता का दोहन करने के लिए गहरी रुचि दिखा रहे हैं।"

मंत्री ने कहा, "भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों और विदेशों में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्थापना केवल शैक्षिक अवसरों का विस्तार करने के बारे में नहीं है, यह अनुसंधान, ज्ञान के आदान-प्रदान और वैश्विक सहयोग का एक जीवंत तंत्र बनाने के बारे में है। विभिन्न देशों के शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे वैश्विक लोकाचार वाले 'वैश्विक नागरिक' तैयार करें जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रदान कर सकें।"

साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष और कुलपति मार्क ई. स्मिथ ने कहा कि भारत के साथ जुड़े बिना 21वीं सदी में कोई भी विश्वविद्यालय वास्तव में वैश्विक नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, "हमारा इरादा एक ऐसा परिसर स्थापित करना है जो शिक्षा, शोध और ज्ञान के आदान-प्रदान तथा उद्यम में साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय की विश्वस्तरीय गतिविधियों को एक साथ लाकर भारत और विश्वविद्यालय को सामाजिक मूल्य और आर्थिक प्रभाव प्रदान करे, साथ ही उभरती वैश्विक महाशक्ति भारत की सभी प्रतिभाओं को भी साथ लाए।"

एथरटन ने कहा, "साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय दिल्ली-एनसीआर (कैंपस) भारत में पहला व्यापक अंतरराष्ट्रीय परिसर होगा। यह अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देगा और भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में एक अंतरराष्ट्रीय आयाम लाएगा, जिससे देश में शीर्ष 100 डिग्री के लिए अध्ययन के अवसर खुलेंगे।"

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