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El Nino Effect: अल नीनो से वैश्विक अर्थव्यवस्था को $3 ट्रिलियन नुकसान की आशंका, भारत पर कितना होगा असर?

El Nino Effect: वैज्ञानिकों ने चेताया है कि दुनिया को आने वाले अल नीनो के लिए तैयार रहना चाहिए। आशंका है कि यह मौसमी घटना अपने साथ दुनिया के कई हिस्सों में भीषण गर्मी, सूखा और बाढ़ लेकर आएगी। इसके साथ ही यह बारिश को भी प्रभावित कर सकती है। इतना ही नहीं इसकी वजह से अन्य चरम मौसमी घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाएगा

अपडेटेड May 21, 2023 पर 10:52 PM
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El Nino Effect: अल नीनो के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2029 तक 3 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है

El Nino Effect in 2023: वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अल नीनो (EL Nino) इस साल दुनिया के कई देशों में भीषण गर्मी और सूखे का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं साइंस जर्नल में प्रकाशित एक नए रिसर्च में चेतावनी दी गई है 2023 में बनने वाली अल नीनो की घटना न केवल इस साल नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि इसका प्रभाव साल 2029 तक दर्ज किया जाएगा। रिसर्च में दावा किया गया है कि इस दौरान अल नीनो के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2029 तक 3 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। इसका व्यापक प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा। रिसर्च के अनुसार, 2023 अल नीनो के ऐसे समय आने की भविष्यवाणी की गई है जब समुद्र की सतह का तापमान अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस तरह की आखिरी बड़ी अल नीनो 2016 में हुई थी। वह साल इतिहास में सबसे गर्म था। ग्लोबल वार्मिंग भी अब तेज हुई है। न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने चेताया है कि दुनिया को आने वाले अल नीनो के लिए तैयार रहना चाहिए। आशंका है कि यह मौसमी घटना अपने साथ दुनिया के कई हिस्सों में भीषण गर्मी, सूखा और बाढ़ लेकर आएगी। इसके साथ ही यह बारिश को भी प्रभावित कर सकती है। इतना ही नहीं इसकी वजह से अन्य चरम मौसमी घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाएगा।

डार्टमाउथ कॉलेज में डॉक्टरेट के उम्मीदवार क्रिस्टोफर कैलहन ने कहा, "संभावित रूप से हमें एक बड़े अल नीनो का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए है। हमारे नतीजे बताते हैं कि संभावित रूप से एक प्रमुख आर्थिक टोल होगा जो एक दशक तक अमेरिका सहित दुनिया के तमाम देशों में आर्थिक विकास को प्रभावित करेगा।" यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने अनुमान लगाया है कि इसके बनने की आशंका मई-जून-जुलाई 2023 के बीच करीब 80 फीसदी है, जो जून-जुलाई-अगस्त तक बढ़कर 90 फीसदी तक पहुंच जाएगी।


आपको बता दें कि इंडियन मेट्रोलोजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने भी अल निनो को लेकर एक चेतावनी जारी की है। IMD ने हाल ही में कहा था कि इस मानसून में एल नीनो के विकसित होने की लगभग 70 फीसदी आशंका है। अगर मौसम वैज्ञानिकों की बात सच साबित हुई तो देश के खरीफ उत्पादन पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

क्या होता है अलनीनो?

अल नीनो प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी की उपस्थिति के जलवायु प्रभाव का नाम है जो दक्षिणी अमेरिकी मछुआरों ने दिया है। इससे समुंद्र का तापमान करीब दो से तीन डिग्री तक बढ़ जाता है। मौसम के अलावा, इसका समुंद्री जीव-जन्तुओं पर भी गहरा असर पड़ता है। मछलियों की ढेरों प्रजातियां तापमान के इस बदलाव को सहन नहीं कर पाती हैं। रिसर्च के मुताबिक, अल नीनो की यह घटना मौसम की चरम घटनाओं का कारण बनती है। जो कृषि, अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन पर व्यापक असर डालती है।

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कई बार कुछ जगहों पर इसका असर तुरंत दिखता है, जबकि कई जगहों पर इस प्रभाव देर से देखने को मिलता। साथ ही यह नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर आर्थिक विकास की रफ्तार को धीमा कर देती है। अल नीनो का मौसम पर नकारात्मक प्रभाव कई बार पड़ा है। इस बार अल नीनों की चेतावनी ने अमेरिका के बाद सबसे अधिक भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसके प्रभाव की वजह से मानसून में कमी आ सकती है। यह कृषि पैदावार को भारी प्रभावित कर सकती है। भारत में सिर्फ खेती करने वाले क्षेत्रों की बारिश पर निर्भरता 50 फीसदी से अधिक है।

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