Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सार्वजनिक होगी ASI सर्वे की रिपोर्ट, वाराणसी कोर्ट का बड़ा फैसला

Gyanvapi Case Update: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस मनीष कुमार निगम ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाना के सर्वेक्षण से इनकार संबंधी वाराणसी की अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से बुधवार को खुद को अलग कर लिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला सुनवाई के लिए अन्य जज को नामित करने के लिए चीफ जस्टिस की अदालत में भेजा जाएगा

अपडेटेड Jan 24, 2024 पर 3:44 PM
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Gyanvapi Mosque Dispute: हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने बुधवार को कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी दी

Gyanvapi Case Update: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque Dispute) मामले में ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी। वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर ASI की सीलबंद रिपोर्ट सार्वजनिक करने और दोनों पक्षकारों को उसकी हार्ड कॉपी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के साथ-साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वकील भी अदालत में मौजूद थे। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने बुधवार को कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी दी।

जैन ने बुधवार पत्रकारों से बातचीत में कहा, "आज अदालत ने दोनों पक्षों को सुना और आम सहमति बनी कि ASI की रिपोर्ट की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को प्रदान की जाएगी...ASI ईमेल के माध्यम से रिपोर्ट प्रदान करने पर आपत्ति जता रही थी इसलिए दोनों पक्ष रिपोर्ट की हार्ड कॉपी प्राप्त करने पर सहमत हुए।" ASI ने 18 दिसंबर को जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल की थी।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था, जिसके बाद अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था। .ASI ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं।


सर्वेक्षण जिला अदालत के 21 जुलाई के आदेश पर किया गया था जिसमें मस्जिद के गुंबदों, तहखानों और पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वेक्षण की आवश्यकता का उल्लेख किया गया था। इसमें कहा गया है कि .ASI को इमारत की उम्र और प्रकृति का निर्धारण करने के लिए खंभों की भी जांच करनी चाहिए।

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अदालत ने ASI से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि विवादित जमीन पर खड़े ढांचे को कोई नुकसान न हो। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई, 2022 के अपने आदेश में उस क्षेत्र को संरक्षित करने का आदेश दिया था जहां कथित तौर पर शिवलिंग पाया गया।

Akhilesh

Akhilesh

First Published: Jan 24, 2024 3:44 PM

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