मोदी सरकार के नेतृ्त्व में भारतीय रेलवे ने आधुनिक ट्रेनों के रूप में वंदे भारत ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। अब वंदे भारत ट्रेनों के संचालन से भी रेलवे डिपार्टमेंट एक कदम आगे बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। इसका कारण ये है कि अब देश वंदे मेट्रो ट्रेन की तैयारी कर रहा है। ये वंदे मेट्रो ट्रेनें हाइड्रोजन ट्रेनें होंगी। यानि कि रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली वंदे मेट्रो ट्रेनें हाइड्रोजन फ्यूल टेक्नोलॉजी पर चलेंगी। हमारे सहोयोगी चैनल सीएनबीसी-आवाज़ को सूत्रों से जानकारी मिली है कि इसकी तैयारी कर ली गई है। इस साल दिसंबर तक इसका प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा। वंदे भारत ट्रेनों की संख्या बढ़ते हुए आगे चलकर राजधानी और शताब्दी ट्रेनों की जगह लेंगी।
सीएनबीसी-आवाज़ की दीपाली नंदा ने इस खबर पर ज्यादा प्रकाश डालते हुए कहा कि सूत्रों के मुताबिक देश में हाइड्रोजन ट्रेनें चलती हुई देखने को मिलेंगी। देश में हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है। इसका प्रोटोटाइप बनाने के लिए विदेशी टेक्नोलॉजी की मदद ली जा रही है। इसके लिए रेलवे विभाग द्वारा यूरोप की टेक्नोलॉजी की मदद ली जा ही है ऐसा सूत्रों से पता चला है।
दीपाली ने सूत्रों के हवाले से कहा कि इसके लिए रीजनल ट्रान्स ट्रेन टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी। इस टेक्नोलॉजी का भारत में लाया जायेगा। सूत्र बता रहे हैं कि इस साल के अंत में यानी कि दिसंबर तक प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा। इसका क्या नाम होगा इस पर फैसला कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक हाइड्रोजन ट्रेन का नाम वंदे मेट्रो रखा गया है।
दीपाली ने आगे कहा कि हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी से चलने वाली वंदे मेट्रो ट्रेने 100 km की दूरी के बीच चलाई जाएगी। इतना ही नहीं मेक इन इंडिया के तहत देश में वंदे मेट्रो का निर्माण भी किया जायेगा। रेलवे की कपूरथला और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में वंदे मेट्रो ट्रेनों का उत्पादन किया जायेगा।
हालांकि सूत्र ये बता रहे हैं कि कपूरथला और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में शुरुआती तौर पर इसका उत्पादन होगा। लेकिन जब देश में ये टेक्नोलॉजी पूरी तरह से विकसित हो जायेगी। तब इसके निर्माण के लिए प्राइवेट कंपनियों को भी मौका दिया जायेगा। ताकि वे सरकार के साथ मिलकर वंदे मेट्रो का उत्पादन मेक इन इंडिया के तर्ज पर ही कर सकें ।