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India's First ISS: अमृत काल में बनेगा देश का पहला स्पेस स्टेशन, ISRO का ये है पूरा प्लान

India's First International space station: अंतरिक्ष में भारत का दखल और मजबूत होने वाला है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) की योजना अब देश के पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को लॉन्च करने की है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने इस प्लान के बारे में डिटेल्स से बताया और यह भी बताया कि सूर्य के अध्ययन के मिशन पर अभी तक क्या अपडेट है

अपडेटेड Dec 23, 2023 पर 2:43 PM
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इसरो के चेयरमैन ने कहा कि अमृत काल के दौरान भारत के पास अपना खुद का स्पेस स्टेशन 'भारत स्पेस स्टेशन' होगा।

India's First International space station: अंतरिक्ष में भारत का दखल और मजबूत होने वाला है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) की योजना अब देश के पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को लॉन्च करने की है। यह काम वर्ष 2028 तक होगा। यह जानकारी इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने दी। उन्होंने शुक्रवार 22 दिसंबर को अहमदाबाद में आने वाले लॉन्च प्लान के बारे में यह ऐलान किया। सोमनाथ ने विज्ञान भारती (विभा) और गुजरात सरकार की संयुक्त पहल भारतीय विज्ञान सम्मेलन में युवा वैज्ञानिकों की एक सभा में कहा कि अगले पांच वर्षों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का पहला मॉड्यूल लॉन्च किया जाएगा। इस पहले मॉड्यूल का वजन 8 टन होगा और यह रोबोटिक होगा।

Amrit Kal में होगा Bharat Space Station

ऑल इंडिया रेडियो न्यूज के मुताबिक इसरो के चेयरमैन ने कहा कि अमृत काल के दौरान भारत के पास अपना खुद का स्पेस स्टेशन 'भारत स्पेस स्टेशन' होगा। यह इसरो के आने वाले सभी कार्यक्रमों के लिए फाउंडेशन के तौर पर काम करेगा। इस बेहतर तकनीक के आधार पर इसरो 2035 तक आईएसएस मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की भी योजना बना रहा है। इसरो चेयरमैन ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी एक नया रॉकेट तैयार कर रही है जो 20 से 1,215 टन का भार ले जाने में सक्षम होगी। अभी भारतीय रॉकेट सिर्फ 10 टन का भार भी अंतरिक्ष में ले जा सकती है।


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Aditya L-1 Mission का क्या है अपडेट

इसरो चेयरमैन ने सूर्य के वातावरण के अध्ययन से जुड़े आदित्य एल-1 मिशन पर भी अपडेट दिया। उन्होंने बताया कि आदित्य 6 जनवरी को एल-1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा और आदित्य के एल-1 में प्रवेश का वीडियो हर कोई देख सकेगा। एक बार एल1 प्वाइंट पर सफलतापूर्व स्थापित होने के बाद यह वहां अगले पांच साल तक रहेगा। वहां से यह सभी डेटा कलेक्ट करेगा जोकि सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अहम होंगे। इस डेटा से सूर्य की गतिविधियों और यह हमारी जिंदगी को कैसे प्रभावित करता है, इसे समझने में मदद मिलेगी। इस मिशन को इसरो ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से लॉन्च किया था। यह देश की पहली स्पेस-बेस्ड ऑब्जर्वेटरी है जिसका काम हैलो ऑर्बिट एल1 से सूर्य का अध्ययन करना है।

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