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ISRO की अंतरिक्ष में नई उड़ान, दूसरी पीढ़ी के पहले नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 की सफल लॉन्चिंग

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 10 बजकर 42 मिनट 51.7 मीटर लंबा GSLV-F12 अपनी 15वीं उड़ान में 2,232 किलोग्राम वजनी NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट को लेकर रवाना हुआ। प्रक्षेपण की उल्टी गिनटी 27.5 घंटे पहले रविवार सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो गई थी। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ सहित मिशन कंट्रोल सेंटर के सभी वैज्ञानिक प्रक्षेपण की पूरी प्रक्रिया पर लगातार नजर रखे हुए हैं

अपडेटेड May 29, 2023 पर 12:33 PM
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प्रक्षेपण के लगभग 18 मिनट बाद GSLV-F12 ने सेटेलाइट NVS-01 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित कर दिया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को प्रक्षेपण यान GSLV-F12 के जरिए देश की दूसरी पीढ़ी के पहले नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 का सफल प्रक्षेपण किया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर 51.7 मीटर लंबा GSLV-F12 अपनी 15वीं उड़ान में 2,232 किलोग्राम वजनी NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट को लेकर रवाना हुआ। प्रक्षेपण की उल्टी गिनटी 27.5 घंटे पहले रविवार सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो गई थी। प्रक्षेपण के लगभग 18 मिनट बाद GSLV-F12 ने सैटेलाइट NVS-01 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित कर दिया।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ सहित मिशन कंट्रोल सेंटर के सभी वैज्ञानिक प्रक्षेपण की पूरी प्रक्रिया पर लगातार नजर रखे हुए हैं। NVS-01 में नेविगेशन पेलोड L1, L5 और एस बैंड (S bands) हैं। भारत की स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करेगी। यह सेटेलाइट भारत और मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।

मिशन को 2,232 किलोग्राम वजनी NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो ने कहा कि लॉन्चिंग के करीब 20 मिनट बाद रॉकेट लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर GTO में उपग्रह को स्थापित किया।


इसरो ने बताया कि NVS-01 अपने साथ L1,L5 और एस बैंड (S bands) सैटेलाइट लेकर गया है। पूर्ववर्ती की तुलना में इस दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन सैटेलाइट में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी है।

इसरो ने कहा कि यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया गया है। अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे।

अब सैटेलाइट में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी होगी। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है। इसरो ने कहा कि सोमवार का मिशन स्वदेशी क्रायोजनिक चरण के साथ GSLV की छठी परिचालन उड़ान थी।

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