ISRO ने साल के आखिरी और बेहद खास मिशन को दिया अंजाम, SpaDeX और इनोवेटिव पेलोड्स के साथ PSLV-C60 लॉन्च

ISRO PSLV-C60 Launch: प्रोजेक्ट को "स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट" नाम दिया गया है। इस मिशन की सफलता भारत की भविष्य की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इस तकनीकी चुनौती पर केवल कुछ ही देशों ने महारत हासिल की है।

अपडेटेड Dec 30, 2024 पर 11:27 PM
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इस मिशन के लिए इस्तेमाल की गई स्वदेशी तकनीक को "भारतीय डॉकिंग सिस्टम" नाम दिया गया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार, 30 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 2 SpaDeX स्पेसक्राफ्ट्स और 24 इनोवेटिव पेलोड्स के साथ PSLV-C60 को लॉन्च किया। इसे ISRO की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि कहा जा रहा है। ISRO का साल 2024 का यह आखिरी मिशन ऐतिहासिक है क्योंकि यह अंतरिक्ष में 2 सैटेलाइट्स को डॉक करने या मर्ज करने या एक साथ जोड़ने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल करना चाहता है। इस प्रोजेक्ट को "स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट" (SpaDeX) नाम दिया गया है। स्पेस डॉकिंग भविष्य के स्पेस मिशंस के लिए एक महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी है। लॉन्च रात 10:00:15 बजे हुआ।

ISRO ने कहा है कि PSLV-C60 पर मौजूद प्राइमरी SpaDeX स्पेसक्राफ्ट A और B सफलतापूर्वक अलग हो गए हैं। दोनों स्पेसक्राफ्ट में से हर एक का वजन 220 किलोग्राम है। 25 घंटे की उल्टी गिनती के खत्म होने पर PSLV-C60 ने अपनी 62वीं उड़ान भरी।

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, SpaDeX मिशन PSLV द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के डेमोन्सट्रेशन के लिए एक कॉ​स्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी डेमोन्सट्रेटर मिशन है। SpaDeX मिशन का मुख्य उद्देश्य दो छोटे स्पेसक्राफ्ट (SDX01 और SDX02) को पृथ्वी की निचली कक्षा में मिलाने, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी विकसित करना और उसे डेमोन्सट्रेट करना है। SDX01 स्पेसक्राफ्ट चेजर है, जबकि SDX02 स्पेसक्राफ्ट टारगेट है।


चंद्रयान-4 और गगनयान जैसे मिशंस के लिए महत्वपूर्ण है डॉकिंग टेक्नोलॉजी

इस तकनीकी चुनौती पर केवल कुछ ही देशों ने महारत हासिल की है और इस मिशन के लिए इस्तेमाल की गई स्वदेशी तकनीक को "भारतीय डॉकिंग सिस्टम" कहा जाता है। इस मिशन की सफलता भारत की भविष्य की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। डॉकिंग टेक्नोलॉजी "चंद्रयान-4" और इंडियन स्पेस स्टेशन जैसे लॉन्ग टर्म मिशंस के लिए महत्वपूर्ण है। यह इंसान को स्पेस में ले जाने वाले "गगनयान" मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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लॉन्च के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने X पर पोस्ट में कहा कि भारत अपने स्वदेशी रूप से विकसित "भारतीय डॉकिंग सिस्टम" के माध्यम से स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी हासिल करने की दिशा में काम कर रहे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल होने वाला चौथा देश बन गया है। ISRO के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि रॉकेट ने सैटेलाइट्स को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है। 2025 में ISRO के कई मिशन हैं। नए साल की शुरुआत जनवरी में GSLV के जरिए NVS 02 के लॉन्च से की जाएगी।

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