Jamshedji to Ratan Tata: टाटा समूह की कब किसने संभाली कमान? पूरी वंशावली पर एक नजर
From Jamshedji to Ratan Tata: दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने 9 अक्टूबर 2204 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन अपनी उपलब्धियों, शब्दों और सबसे अहम अपने सामाजिक कार्यों के चलते वो अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं। टाटा ग्रुप को देश से निकालकर दुनिया में पहुंचाने वाले रतन टाटा का नाम इतिहास की किताब में पहले पन्ने पर दर्ज हो चुका है। आइये जानते हैं उनकी वंशावली के बारे में
From Jamshedji to Ratan Tata: जमशेदजी ने टाटा ग्रुप की नींव रखी तो रतन टाटा ने इसे पूरी दुनिया में पहुंचा दिया।
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की जानकारी 9 अक्टूबर को देर रात जारी की गई। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के इंटेसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती थे। वे उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। देर रात करीब 2 बजे उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से उनके घर ले जाया गया। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि टाटा का पार्थिव शरीर आज ( 10 अक्टूबर) सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के हॉल में रखा जाएगा। यहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे।
रतन टाटा अपने पीछे एक बड़ी विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने टाटा समूह को देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में नई पहचान दिलाई। उनका अचानक से इस दुनिया को अलविदा कहना एक बहुत बड़ा सदमा है। टाटा परिवार भारत के सबसे बड़े और दिग्गज कारोबारी परिवारों में से एक है। रतन टाटा ने टाटा समूह को मल्टीनेशनल कंपनी बनाने में अहम योगदान दिया। रतन टाटा की मेहनत का यह नतीजा है कि ‘टाटा ग्रुप’ की ब्रांड वैल्यू का मतलब ‘भरोसा’ हो चुका है। रतन टाटा ही नहीं बल्कि कई पीढ़ियों की मेहनत से बनी इस ब्रांड वैल्यू ने देश को हर बार फ्यूचर की राह दिखाने का काम किया है। आइये जानते हैं टाटा ग्रुप की कहानी कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी यह आगे बढ़ता गया।
1 – नुसरवानजी टाटा (1822-1886)
नुसरवानजी टाटा को ‘टाटा’ परिवार का कलपति माना जाता है। टाटा के वंश की शुरुआत यहीं से होती है। वो एक पारसी पुजारी थे। उन्होंने कारोबार जगत में कदम रखा। यहीं से टाटा परिवार के बिजनेस में आने की शुरुआत हुई थी।
2 - गुजरात के कारोबारी ‘जमशेदजी टाटा’ दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी
नुसरवानजी टाटा के बेटे जमशेदजी टाटा ने टाटा ग्रुप की स्थापना की थी। वह गुजरात के नवसारी के रहने वाले थे। हालांकि उनकी किस्मत मुंबई आकर चमकी। कहते हैं कि मुंबई की सड़कों पर सोना बिखरा पड़ा है। उसे तो सिर्फ ढूंढ़ने और उठाने वाला चाहिए। शायद जमशेदजी ने मुंबई को सही पहचाना और यहां आकर उनकी किस्मत बदल गई। जमशेदजी टाटा ने 1868 में एक ट्रेडिंग कंपनी के तौर पर टाटा ग्रुप की नींव रखी थी। सिर्फ 29 साल की उम्र में 21,000 रुपए के निवेश के साथ कंपनी की शुरुआत की थी।
हालांकि उस दौर में ये रकम भारी भरकम थी। इसके बाद टाटा ग्रुप ने शिपिंग का भी काम किया और 1869 तक आते-आते वह टेक्सटाइल के बिजनेस में उतर गए। वो टाटा ग्रुप को आगे बढ़ाने में जुट गए। जमशेदजी को भारत के उद्योग जगत के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने टाटा स्टील, होटल (ताज महल होटल) और हाइड्रोपावर स्थापित किए।
3 - दोराबजी टाटा (1859-1932)
जमशेदजी टाटा के सबसे बड़े बेटे का नाम दोराबजी टाटा था। जमशेदजी की मृत्यु के बाद टाटा समूह की कमान दोराबजी ने ही संभाली थी। उन्होंने टाटा स्टील और टाटा पावर जैसे अन्य प्रमुख उपक्रमों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
4 – रतनजी टाटा
रतनजी टाटा दोराबजी के छोटे भाई थे। यानी जमशेदजी के छोटे बेटे थे। इन्हें पहले वाले रतन टाटा के नाम से जाना जाता है। इन्होंने टाटा ग्रुप को बिजनेस को आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया। खास तौर से कपास और वस्त्र उद्योग (cotton and textiles) में एक अलग पहचान दिलाई।
JRD टाटा रतनजी टाटा के पुत्र थे। JRD टाटा की मां का नम सुजैन ब्रिएरे (Suzanne Brière) थी, जो कि एक फ्रांसीसी महिला थीं। जेआरडी टाटा भारत के पहले कमर्शियल पायलट बने। वहीं JRD टाटा ने 50 साल से अधिक समय तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन (1938-1991) रहे। इन्होंने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। बाद में यही एयरलाइंस एयर इंडिया बन गई। जब सरकार ने एयर इंडिया को प्राइवेट किया और इसकी टाटा के पास घर वापसी हुई, तो आम जनता ने भी इसका स्वागत किया। जेआरडी टाटा के दौर में ही टाटा ग्रुप का बहुत ज्यादा डायवर्सिफाई होता गया। JRD टाटा ने टाटा ग्रुप को मल्टीनेशनल कंपनी बनाने में अहम भूमिका निभाई।
6 - नवल टाटा (1904-1989)
नवल टाटा रतनजी टाटा के दत्तक पुत्र थे। इन्होंने टाटा समूह को एक अलग पहचान दिलाई थी। उनके वंशजों में आज टाटा परिवार के दो प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं।
7 - रतन नवल टाटा
8 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर जन्मे रतन टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के परपोते थे। वह 1990 से 2012 तक ग्रुप के चेयरमैन रहे। अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक इंटरिम चेयरमैन थे। 2017 से टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स के प्रमुख थे। रतन टाटा ने अपनी विरासत को नए मुकाम पर पहुंचाया है। उन्होंने एयर इंडिया को खरीदा। इसे जेआरडी टाटा ने शुरू किया था, लेकिन आजादी के बाद ये सरकारी हो गई थी। फोर्ड के लग्जरी कार ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया। 2008 में रतन टाटा को भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिला था। इससे पहले 2000 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
8 - नोएल टाटा
नोएल टाटा का जन्म 1957 में हुआ। ये टाटा इंटरनेशनल के अध्यक्ष हैं और टाटा समूह की कई कंपनियों में शामिल हैं। नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। टाटा परिवार कारोबार के साथ-साथ परोपकार के लिए भी जाना जाता है।