Kargil Vijay Diwas: टाइगर हिल की वो आखिरी लड़ाई, जब 18 ग्रेनेडियर्स के जांबाजों ने रच दिया इतिहास, पाकिस्तानियों को खदेड़ा पीछे
Kargil Vijay Diwas 2024: 1976 में बनी, 18 ग्रेनेडियर्स ने युद्ध में अहम भूमिका निभाई। बटालियन को 52 अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिनमें एक परमवीर चक्र, दो महावीर चक्र, छह वीर चक्र, कई सेना पदक और थल सेनाध्यक्ष का एक प्रशस्ति पत्र शामिल है। भारतीय सेना 26 जुलाई को कारगिल विजय के 25 साल पूरे करेगी। कारगिल में मुख्य स्मारक कार्यक्रम से पहले कई प्रोग्राम आयोजित किए गए हैं
Kargil Vijay Diwas: टाइगर हिल की वो आखिरी लड़ाई, जब 18 ग्रेनेडियर्स के जांबाजों ने रच दिया इतिहास, पाकिस्तानियों को खदेड़ा पीछे
सेना में भर्ती होने के बमुश्किल चार महीने बाद, युवा लेफ्टिनेंट बलवान सिंह ने कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों पर रणनीतिक हमले में भारतीय सेना की घातक प्लाटून को लीड किया। बलवान सिंह 4 जुलाई, 1999 को टाइगर हिल पर कब्जा करने वाले बहादुर सैनिकों में से एक थे। बलवान सिंह अब प्रसिद्ध 18 ग्रेनेडियर्स के कर्नल हैं। वो याद करते हैं, "वहां से पीछे मुड़कर नहीं देखा। टाइगर हिल पर कब्जा करने के बाद ये जीत थी।" तब वे दुश्मन से लड़ते समय घायल हो गए थे, लेकिन फिर भी लड़ते रहे। उनकी वीरता के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
1976 में बनी, 18 ग्रेनेडियर्स ने युद्ध में अहम भूमिका निभाई। बटालियन को 52 अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिनमें एक परमवीर चक्र, दो महावीर चक्र, छह वीर चक्र, कई सेना पदक और थल सेनाध्यक्ष का एक प्रशस्ति पत्र शामिल है।
3 जुलाई 1999 की रात से शुरू हुई आखिरी लड़ाई
26 जुलाई, 1999 को ये घोषित कर दिया गया कि कारगिल युद्ध (Kargil War) अब खत्म हो गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को बड़ी ही जांबाजी के साथ पीछे धकेल दिया था, क्योंकि उसने खुफिया तरीके से लद्दाख में अहम ऊंचाइयों वाले प्वाइंट पर कब्जा कर लिया था।
PTI के मुताबिक, रिटायर ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर जिन्होंने तोलोलिंग और टाइगर हिल की अहम लड़ाई के दौरान बटालियन की कमान संभाली थी, वो बताते हैं, 3 जुलाई 1999 की रात को 18 ग्रेनेडियर्स, जिन्हें पोल स्टार बटालियन भी कहा जाता है, उसके सैनिक टाइगर हिल पर कब्जा करने के अपने मिशन पर निकले और अगली सुबह तक उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया था।
तोलोलिंग के बाद टाइगर हिल अगला टारगेट
खुशाल ठाकुर तब कर्नल थे। उन्होंने बताया, "12-13 जून, 1999 को हमने तोलोलिंग पर जीत हासिल की और ये इस युद्ध में एक बड़ा मोड़ था। इससे हमारे सशस्त्र बलों और देशवासियों का मनोबल बढ़ा और पाकिस्तानी पक्ष का मनोबल गिरा। एक-एक करके हम कब्जा करते गए। एक-एक करके हम मुश्को या बटालिक सेक्टर की चोटियों पर कब्जा करते गए और अगला काम था टाइगर हिल।"
उन्होंने कहा, "टाइगर हिल के लिए, मेरे पास टोह लेने के लिए पर्याप्त समय था। मेरे पास आर्टिलरी की बंदूकें, मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर और हाई एल्टीट्यूड वाले युद्ध उपकरण थे... सभी नुकसानों के बावजूद, 18 ग्रेनेडियर्स के लोगों का मनोबल आसमान पर था और हमारे बहादुर लोगों ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया और टॉप पर भारतीय झंडा फहरा दिया।"
टाइगर हिल की अहमियत इतनी क्यों?
उस समय बहुत सारे टीवी चैनल नहीं थे, लेकिन टाइगर हिल की विजय का जश्न मनाते भारतीय सैनिकों की तस्वीरें उनकी बहादुरी का प्रतीक बन गईं। कर्नल सिंह ने कहा कि तोलोलिंग और टाइगर हिल की लड़ाई निर्णायक लड़ाई थी।
"शुरुआत में, हमने तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया। तोलोलिंग NH-1 अल्फा के बहुत करीब है। यह NH-1 अल्फा से सिर्फ 3 Km दूर है। यही हाल टाइगर हिल का भी है, जो 8-10 Km की दूरी पर है। टाइगर हिल के टॉप से NH-1 अल्फा दिखाई देता है। आप इस सड़क पर कोई भी मूवमेंट नहीं कर सकते।"
उन्होंने कहा, "घुसपैठियों के पास तोलोलिंग और टाइगर हिल पर सभी तरह के हथियार, ऑटोमेटिक, एंटी एयरक्राफ्ट बंदूकें और दूसरीं मिसाइलें थीं और दोनों को कैप्चर करना बहुत अहम था।"
भारतीय सेना 26 जुलाई को कारगिल विजय के 25 साल पूरे करेगी। कारगिल में मुख्य स्मारक कार्यक्रम से पहले कई प्रोग्राम आयोजित किए गए हैं।
हम दीवार की तरफ पीठ करके लड़ रहे थे
कर्नल सचिन अन्नाराव निंबालकर, जो करीब 23 साल के थे और संघर्ष के दौरान 18 ग्रेनेडियर्स में बतौर कैप्टन थे, युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी के लिए वीर चक्र से सम्मानित सैनिकों में से थे।
वो याद करते हैं, "हम दीवार की तरफ पीठ करके लड़ रहे थे और हर इंच जिस पर हमें कब्जा करना था, वो एक बड़ी लड़ाई थी। कारगिल युद्ध में जीत अलग-अलग यूनिट के महान बलिदानों से मिली थी।"
कर्नल निंबालकर ने कहा, "अगर मैं अपनी यूनिट, 18 ग्रेनेडियर्स के बारे में बात करूं, तो हम बहादुर हैं, दो अधिकारियों, दो JCO और 30 अदर रैंक ने (इस युद्ध में) अपने जीवन का बलिदान दिया और कई लोग घायल हो गए और कुछ जीवन भर के लिए विकलांग हो गए।"
जीत की खुशी भी, लेकिन साथियों को खोने का गम भी
महाराष्ट्र के रहने वाले सेना अधिकारी गर्व से अपनी सैन्य टोपी पर लिखे आदर्श वाक्य 'सर्वदा शक्तिशाली' वाले रेजिमेंटल प्रतीक चिन्ह को दिखाते हैं और इसके के बारे में बताते हैं।
उन्होंने कहा, "अब हम कारगिल विजय दिवस का 25वां साल मना रहे हैं... मुझे याद है, जब हम सफल हुए थे, मुझे याद है जब हम कैजुअल्टी का सामना कर रहे थे, मुझे लेफ्टिनेंट कर्नल विश्वनाथन याद हैं, जिन्होंने तोलोलिंग की लड़ाई के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया था।"
कर्नल निंबालकर ने अपने IMA के साथी और टाइगर हिल युद्ध के नायक कैप्टन मनोज पांडे को उनकी पुण्यतिथि पर स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा, "दो तरह की भावनाएं हैं। उपलब्धि की भावना है, लेकिन इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। आज हम सभी के लिए सामूहिक रूप से हमारे नायकों के प्रयासों और देश के लिए किए गए बलिदानों को स्वीकार करने का दिन है।"