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Monsoon Updates: चक्रवात बिपरजोय, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन, दिल्ली मुंबई में एक साथ मानसून आने के पीछे ये हैं अहम कारण

Monsoon Updates: चक्रवात बिपरजोय 16 जून को देश के पश्चिमी तट से टकराया। Down To Earth की रिपोर्ट के मुताबिक, कई विशेषज्ञों ने बताया कि इसने मुंबई और दिल्ली में मानसून के ओवरलैपिंग में अहम भूमिका निभाई। कुछ जलवायु विशेषज्ञों ने एल नीनो का भी जिक्र किया। IMD के मानसून एक्सपर्ट डीएस पई ने कहा, “आज, 25 जून को, मानसून मुंबई और दिल्ली दोनों में एक साथ आया है। ये पहले 21 जून, 1961 को हुआ था।”

अपडेटेड Jun 27, 2023 पर 1:16 PM
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Monsoon Updates: गुरुग्राम में भारी बारिश के बाद जलजमाव वाले दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे से वाहन गुजरते हुए

Monsoon Updates: दिल्ली (Delhi) और मुंबई (Mumbai) में छह दशकों से ज्यादा समय के बाद पहली बार मानसून (Monsoon) एक साथ आया है। ऐसी स्थिति बनने के पीछे तीन अहम कारण माने जा रहे हैं, जलवायु परिवर्तन (climate change), ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का असर और चक्रवात बिपरजोय (Cyclone Biparjoy)भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक बुलेटिन में कहा, 25 जून को दक्षिण पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon) मुंबई और दिल्ली में एक साथ आगे बढ़ा।

चक्रवात बिपरजोय 16 जून को देश के पश्चिमी तट से टकराया। Down To Earth की रिपोर्ट के मुताबिक, कई विशेषज्ञों ने बताया कि इसने मुंबई और दिल्ली में मानसून के ओवरलैपिंग में अहम भूमिका निभाई। कुछ जलवायु विशेषज्ञों ने एल नीनो का भी जिक्र किया।

IMD के मानसून एक्सपर्ट डीएस पई ने कहा, “आज, 25 जून को, मानसून मुंबई और दिल्ली दोनों में एक साथ आया है। ये पहले 21 जून, 1961 को हुआ था।”


IMD के लॉन्गटर्म आकलन के अनुसार, मानसून आम तौर पर 11 जून को मुंबई और 27 जून को दिल्ली में आता है। इससे पता चलता है कि इस साल राष्ट्रीय राजधानी में मानसून समय से पहले ही आ गया, जबकि मुंबई में लगभग दो हफ्ते की देरी हुई।

IMD के DG मृत्युंजय महापात्र ने मीडिया से कहा, “पहले अरब सागर में मानसून सर्कुलेशन कमजोर था, लेकिन बंगाल की खाड़ी में सर्कुलेशन मजबूत था। हालांकि, अब दोनों जगह मजबूत हो गया और पूरे देश में फैल गए है।”

बिपरजोय से मिला ज्यादा पुश

IMD के पूर्व DG केजे रमेश ने कहा कि चक्रवात बिपरजोय ने अरब सागर में मानसून सर्कुलेशन को धीमा कर दिया था। हालांकि, बंगाल की खाड़ी में सर्कुलेशन हमेशा मजबूत था। उन्होंने कहा कि इस विसंगति के कारण इस साल अनोखी स्थिति पैदा हो सकती है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई और मैरीलैंड यूनिवर्सिटी से जुड़े पृथ्वी वैज्ञानिक और मौसम विशेषज्ञ रघु मुर्तुगुडे ने 26 जून को बताया, "ग्लोबल वार्मिंग पैटर्न के हिस्से के रूप में अरब सागर जनवरी से गर्म हो रहा है।"

मुर्तुगुड्डे ने कहा कि तूफान मावर और गुचोल बना हुआ और ग्लोबल वार्मिंग के कारण मई तूफान के लिए भी मावर असाधारण रूप से मजबूत हो गया। दोनों तूफानों ने हिंद महासागर से हवाएं और नमी खींच ली, जिससे मानसून की शुरुआत में देरी हुई।

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उन्होंने कहा, "तूफान ने अरब सागर के ऊपर कमजोर हवाएं भी पैदा कीं, जिससे चक्रवात बिपरजोय बहुत देर से बना और बहुत लंबे समय तक बना रहा, खासकर अरब सागर के गर्म होने के कारण।"

मुर्तुगुड्डे ने कहा, बदले में, बिपरजोय ने मानसूनी हवाओं में रुकावट पैदा कर दी, जिससे मुंबई में मानसून के आगमन में देरी हुई और मध्य भारत में हीटवेव को बढ़ावा मिला।

मुर्तुगुड्डे ने बताया, "चक्रवात बिपरजोय ने मॉनसून ट्रफ के पूर्वी हिस्से को भी उत्तर की ओर खींच लिया और उसी तारीख को दिल्ली में मानसून का आगमन थोड़ा पहले हो गया।"

संयोग से IMD के सूत्रों के अनुसार, कम से कम तीन चक्रवाती सिस्टम ने 1961 में भी इस क्षेत्र को प्रभावित किया था, जब मुंबई और दिल्ली में एक ही दिन मानसून आया था।

एल नीनो फैक्टर

कम से कम दो फ्रंटलाइन जलवायु वैज्ञानिकों ने पाया कि एल नीनो घटना ने भी विकास में भूमिका निभाई होगी।

IITM के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, “मानसून की शुरुआत कमजोर थी और प्रगति में देरी हुई, जो एल नीनो के संभावित प्रभाव का संकेत है। उसी समय, चक्रवात के अवशेषों के कारण सीजन की शुरुआत में दिल्ली और उत्तर भारत में बारिश हुई।”

कोल ने कहा, इससे इस क्षेत्र में नमी का पुनर्नवीनीकरण हो सकता है, जिससे मानसून को वहां पहुंचने में मदद मिलेगी, लेकिन कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले हमें इसे करीब से देखने की जरूरत है।

IIT मुंबई में जलवायु वैज्ञानिक प्रोफेसर सुबिमल घोष ने कहा, “ऐसा लगता है कि अरब सागर शाखा जून के शुरुआती भाग में थोड़ी कमजोर थी। एल नीना के लगातार तीन सालों के बाद एल नीनो एक कारण हो सकता है, लेकिन अभी तक इसे इंगित करना मुश्किल है।”

घोष, लेटेस्ट संयुक्त राष्ट्र जलवायु रिपोर्ट, आकलन रिपोर्ट 6 के लिए वर्किंग ग्रुप-I के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के तहत एक वैज्ञानिक निकाय, जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की तरफ से तैयार किया गया है।

IMD बुलेटिन में कहा गया है, "दक्षिण पश्चिम मानसून आज, 26 जून को गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के कुछ हिस्सों और जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के बाकी हिस्सों में आगे बढ़ गया है।"

नोटिस में कहा गया है कि इन राज्यों के जिन हिस्सों में अभी तक मानसूनी बारिश नहीं हुई है, उनमें दो दिनों के भीतर बारिश होने की संभावना है।

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