Nipah Virus: केरल (Kerla) के कोझिकोड (kozhikode) जिले में निपाह वायरस (nipah) वायरस का कहर जारी है। रोजाना नए संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। यह वायरस का बांग्लादेशी स्ट्रेन है, जो इंसानों से इंसानों में फैलता है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि यह वेरिएंट कम संक्रामक है। लेकिन इसकी मृत्युदर ज्यादा है। ताजा मामले में यहां एक स्वास्थ्यकर्मी का परीक्षण पॉजिटिव आया है। उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research - ICMR) की ओर से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज (monoclonal antibodies) आज मुहैया करा दी जाएगी।
कोझिकोड जिले में 2 दिन की छुट्टी कर दी गई है। शैक्षणिक संस्थान छात्रों के लिए दो दिनों में ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था कर सकते हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय परीक्षा कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गआ है। मौजूदा समय में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ही निपाह वायरस संक्रमण का एकमात्र इलाज है। हालांकि अभी तक यह प्रूफ नहीं हो सका है।
पुणे-चेन्नई से विशेषज्ञ केरल पहुंचेंगे
पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीमें कोझिकोड मेडिकल कॉलेज जाएगी। जहां वो निपाह वायरस का टेस्ट करने और चमगादड़ों का सर्वेक्षण करने के लिए मोबाइल लैब स्थापित करना है। इसके साथ ही चेन्नई से भी महामारी विशेषज्ञों का एक समूह सर्वेक्षण के लिए केरल पहुंचने की तैयारी में है। केरल में निपाह वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री जॉर्ज ने इस स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए कुछ उपायों की घोषणा की है। जिसमें- निगरानी, आइसोलेशन सेंटर की स्थापना, कंटेनमेंट जोन बनाना और जो लोग संक्रमित हैं उनके लिए दवाएं खरीद रहे हैं। कोझिकोड प्रशासन ने सात ग्राम पंचायतों – अतानचेरी, मारुथोंकारा, तिरुवल्लुर, कुट्टियाडी, कयाक्कोडी, विल्यापल्ली और कविलुम्परा को कंटेनमेंट जोन घोषित किया है।
जानिए कैसे फैलता है निपाह वायरस
निपाह वायरस संक्रमण मूल रूप से एक जूनोटिक बीमारी है। यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है। इसके अलावा यह दूषित भोजन या संपर्क से भी फैल सकता है।
निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति में फीवर, तेज सिर दर्द, सांस लेने में परेशानी, खांसी, गला खराब, उल्टी-दस्त, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में कमजोर जैसे प्रमुख लक्षण पाए जाते हैं। निपाह वायरस जब शरीर पर अपना असर दिखाने लगता है तो बुखार उतरने का नाम नहीं लेता है। गला खराब हो जाता है। मरीज को उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है। मरीज को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है। इसके साथ उसके मांसपेशियों में दर्द बना रहता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, निपाह वायरस से बचने के लिए किसी भी तरह की दवा-वैक्सीन अभी मार्केट में मौजूद नहीं है। निपाह वायरस से बचने के लिए जैसे ही शुरुआती लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस वायरस को रोकने का एक मात्र तरीका जागरूकता फैलाना है। फलों को अच्छी तरह धोकर सेवन करना चाहिए।