सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग (NITI Aayog) ने कचरा पैदा करने वालों से कलेक्शन शुल्क लेने का सुझाव दिया है। यह शुल्क कचरे के निपटान की कुल मात्रा के अनुपात में लगाने का सुझाव दिया गया है। आयोग ने यह भी कहा कि गीले कचरे का निपटान कंपोस्टिंग के जरिए जबकि सूखे कचरे को स्थानीय रद्दी सामान लेने वाले को बिक्री के माध्यम से निपटाया जा सकता है।
आयोग ने कहा कि कचरा पैदा करने वालों से कचरे के निपटान की कुल मात्रा के अनुपात में कलेक्शन शुल्क लिया जा सकता है। साथ ही कचरे को अलग-अलग करने, उसका स्रोत स्तर पर ही निपटान करने के लिए कचरा पैदा करने वाले को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे छोटी राशि ही मुंसिपल सिस्टम को देने की जरूरत होगी।
ये सुझाव कचरा पैदा होने वाले स्थान पर ही उसे अलग करने तथा निपटान को लेकर वित्तीय प्रोत्साहन देने और इसके उलट हतोत्साहित करने के नीति आयोग के प्रस्ताव का हिस्सा हैं। वास्तव में भारत वेस्ट जनरेशन में वृद्धि से जूझ रहा है जिसके 2050 तक तीन गुना बढ़ने की आशंका है।
देश में सालाना 4.98 करोड़ टन ठोस कचरा पैदा होता है। वहीं दुनिया में यह करीब दो अरब टन है। इसके 2050 तक 70 प्रतिशत बढ़कर 3.4 अरब टन सालाना हो जाने का अनुमान है। आयोग ने सुझाव दिया कि ताजा वेस्ट आधारित टेक्नोलॉजी और उत्पादों को विकसित करके तथा वेस्ट उपयोग को वित्तीय या अन्य लाभों से जोड़कर कचरे के विभिन्न कार्यों में इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
नीति आयोग ने कहा कि उन उत्पादों की अनिवार्य या तरजीही आधार पर खरीद, जिनमें निर्धारित सीमा से अधिक वेस्ट सामग्री का रिसाइकलिंग किया गया है, को अपनाने के लिए विचार किया जा सकता है।
उसने यह भी सुझाव दिया कि निजी परिचालकों को कूड़ा डालने वाली जगहों पर डंपिंग कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आयोग के अनुसार, दक्षिण-एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के दुनिया के सबसे तेजी से वृद्धि वाले क्षेत्रों में आने वाले भारत जैसे देशों में 2050 तक वेस्ट उत्पादन में तीन गुना वृद्धि की आशंका है।