Operation Blue Star 1984: अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर (Golden Temple Amritsar) में 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) को लीड करने वाले अधिकारी रिटायर्ड जनरल कुलदीप सिंह बराड़ (General Kuldeep Brar) ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) और उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने जरनैल सिंह भिंडरांवाले को फलने-फूलने में मदद की और फिर बाद में उसे मारने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के कारण ही भिंडरवाले कट्टरपंथियों का बड़ा नाम बन चुका था।
पूर्व जनरल ने पोडकास्ट के दौरान समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कोई भी ऑपरेशन नहीं चाहता, लेकिन आप क्या कर सकते हैं? इंदिरा गांधी ने उन्हें फ्रेंकस्टीन बनने की अनुमति दी और जब वह शिखर पर पहुंच गया, तो अब उसे खत्म करने का आदेश दे दिया। रिटायर्ड जनरल ने कहा कि उस समय के राजनीतिक नेतृत्व ने भिंडरावाले को फलने-फूलने में मदद की।
बराड़ ने आगे कहा कि भिंडरावाले को रोकने में काफी देरी हुई। देखते ही देखते वह पंजाब में उग्रवाद का बड़ा नाम बन गया, लेकिन इंदिरा गांधी साल दर साल सिर्फ देखती रहीं। हालांकि उसके शिखर पर पहुंचने के बाद इंदिरा गांधी ने उसे खत्म करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति ऑपरेशन नहीं चाहता, लेकिन आप क्या कर सकते हैं। कई बार न चाहते हुए भी करना पड़ता है।
'इंदिरा गांधी ने भिंडरवाला को राक्षस बनने दिया'
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, बराड़ ने कहा कि इंदिरा गांधी ने भिंडरवाला को राक्षस बनने दिया। लेकिन जब वह शिखर पर पहुंच गया, तब उसे खत्म करने के लिए कहा। हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बराड़ ने दावा किया कि तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने भिंडरावाले को फलने-फूलने दिया था। रिटायर्ड अधिकारी ने कहा कि उन्हें अकाली और कांग्रेस के बीच समर्थन की अपनी छोटी समस्या थी। जिसके लिए उन्होंने भिंडरावाले के इस पंथ को जारी रखने की अनुमति दी। उन्होंने 1980 के दशक में पंजाब की स्थिति को भी याद किया जब भिंडरावाले का राज्य पर पूर्ण नियंत्रण था।
जनरल बराड़ ने बताया कि साल 1984 तक भिंडरावाले ने बहुत नाम कमा चुका था। उसने राज्य में अपना रुतबा बना लिया था। पंजाब पुलिस हो या जिला प्रशासन... सभी उससे डरते थे और उसके दिए हर आदेश का पालन करते थे। उन्होंने कहा कि ब्लू स्टार ऑपरेशन में पुलिस को नहीं शामिल किया गया था। इसमें सिर्फ भारतीय सेना के जवान थे। 1984 में जनरल बराड़ की अगुवाई में ब्लू स्टार ऑपरेशन चलाया गया था। भारतीय सेना सिखों की सबसी पवित्र जगह स्वर्ण मंदिर दाखिल हुई और कार्रवाई को अंजाम दिया। ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान वह अपने सशस्त्र अनुयायियों के साथ मारा गया था।