Arvind Kejriwal Bail on Excise Policy Scam: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। शीर्ष अदालत ने शर्तों के साथ AAP के राष्ट्रीय संयोजक को कथित आबकारी नीति घोटाले में CBI द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में बेल दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने दफ्तर नहीं जा सकते हैं। साथ ही किसी भी प्रकार के फाइलों पर भी साइन नहीं कर सकेंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को अवैध नहीं माना है। केजरीवाल शुक्रवार शाम तक 156 दिनों के बाद तिहाड़ से बाहर आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी है।
सुप्रीम कोर्ट आबकारी नीति घोटाला मामले में केजरीवाल की दो याचिकाओं पर शुक्रवार (13 सितंबर) को अपना फैसला सुनाया। केजरीवाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी तथा जमानत से इनकार किए जाने को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ दोनों याचिकाओं पर फैसला सुनाया। पीठ में जस्टिस उज्ज्वल भुइंया भी शामिल हैं।
5 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला
पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर एजेंसी से जवाब मांगा।
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के पांच अगस्त के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के इस मामले में उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अब उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और संबंधित साक्ष्यों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि गिरफ्तारी अकारण या अवैध थी।
हाई कोर्ट से झटके के बाद पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत संबंधी याचिका पर निचली अदालत से संपर्क करने की भी अनुमति दी थी। यह मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस नीति को बाद में निरस्त कर दिया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित आबकारी नीति घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का एक अलग मामला दर्ज किया था। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करके अनियमितताएं की गईं और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि उन्हें दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा और वापस जेल आना होगा। केजरीवाल ने 2 जून को तिहाड़ जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया था और तब से वहीं हैं।
ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। भ्रष्टाचार मामले में अपनी याचिका पर पांच सितंबर को सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने सीबीआई की उस दलील का जोरदार विरोध किया था कि उन्हें जमानत के लिए सबसे पहले निचली अदालत जाना चाहिए।
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने केजरीवाल की याचिकाओं के गुण-दोष पर सवाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में भी शीर्ष अदालत को उन्हें (केजरीवाल को) निचली अदालत जाने के लिए कहना चाहिए।
मेरी इन्श्योरेन्स गिरफ्तारी की: अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने करीब दो साल तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज अधिक कठोर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मिलने के बाद 26 जून को उनकी 'इन्श्योरेन्स गिरफ्तारी' की। पिछली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री की ओर से पेश वकील अभिषेक सिंघवी ने पीठ से कहा कि गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने केजरीवाल को कोई नोटिस नहीं दिया। निचली अदालत ने गिरफ्तारी का एकतरफा आदेश पारित किया।
जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए जमानत का अनुरोध करते हुए सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं और उनके भागने का कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने धन शोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री समाज के लिए खतरा नहीं हैं। उन्होंने कहा, "अगस्त 2023 में जो शुरू हुआ, वह इस साल मार्च में धनशोधन मामले में गिरफ्तारी का कारण बना।" सिंघवी ने कहा कि शीर्ष अदालत और एक अधीनस्थ अदालत ने इस मामले में पहले ही उन्हें जमानत दे दी है।