भारतीय जनता पार्टी ने मंडी सांसद और एक्ट्रेस कंगना रनौत को उनके हालिया बयानों को लेकर समन भेजा। कंगना रनौत ने गुरुवार सुबह को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से उनके घर पर मुलाकात की। उन्हें ये बुलावा ऐसे समय आया है, जब हाल ही में पार्टी ने कंगना के किसान आंदोलन को लेकर दिए गए बयान से खुद अलग कर लिया था और उन्हें पार्टी लाइन से हट कर नहीं बोलने की चेतावनी भी दी थी।
Indian Express ने सूत्रों के हवाले से बताया, कंगना रनौत लगभग आधे घंटे तक नड्डा के घर पर रहीं। इसके बाद जेपी नड्डा ने BJP हरियाणा कोर ग्रुप की बैठक में हिस्सा लिया, ताकि औपचारिक रूप से विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नाम पर मोहर लगाई जा सके। इसके बाद पार्टी अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी हिस्सा लेंगे।
लोकसभा चुनाव 2024 के निराशाजनक नतीजों के कुछ महीनों बाद अब पार्टी कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि शायद इसलिए नड्डा ने कंगना को बुलाया और उन्हें इस समय ऐसा कुछ भी नहीं बोलने की हिदायत दी गई है, जो पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दे।
हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कंगना के बयान की वजह से भारतीय जनता पार्टी को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी, जो उन्होंने 2020-21 में हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर दिया था।
तब तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पूरे एक साल तक राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाली सड़कों को किसानों ने जाम कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शन खत्म हुआ था।
हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कंगना का बयान राज्य चुनाव में बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। लोकसभा चुनाव 2024 में, लेकिन हरियाणा में बीजेपी 10 सीटों से घटकर सिर्फ पांच पर आ गई और कांग्रेस ने राज्य में अपना वोट शेयर 28 फीसदी से बढ़ाकर 43 फीसदी कर लिया।
कंगना के किस बयान से मचा बवाल?
कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा था कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे और वहां बलात्कार और हत्याएं हो रही थीं।
इंटरव्यू में कंगना ने यह भी कहा था कि तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया, नहीं तो ‘इन उपद्रवियों’ की बहुत लंबी योजना थी और वे देश में कुछ भी कर सकते थे।
उन्होंने यह भी कहा था कि अगर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता, तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता।